क्या आप निभाते हैं दोस्ती के उसूल?

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प्रियंका माहेश्वरी
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अक्सर लोग छोटी-छोटी बातों की वजह से या गलतफहमियों का शिकार होकर बरसों की मेहनत से लगाए दोस्ती रूपी पेड़ को बिना सोचे-समझे एक ही पल में काट बैठते हैं। ऐसी गलती से बचने के लिए जरूरी है कि आप दोस्ती के मूलभूत सिद्धांतों को कभी न भूलें।

अलीशा और महक में बचपन से ही गहरी दोस्ती थी। दोनों हरदम साथ रहतीं, साथ पढ़ाई करतीं, साथ घूमने जातीं, साथ में शॉपिंग करतीं। अपने मन की हर बात वे एक-दूसरे से शेयर करतीं। ऐसा कोई दिन नहीं होता था जब वे दोनों न मिलें, बात न करें। दोनों ने एडमिशन भी एक ही कॉलेज में लिया। उनकी दोस्ती इतनी मशहूर हो गई कि कॉलेज में लड़कियाँ कहने लगी थीं,"भई दोस्ती हो तो अलीशा और महक जैसी!"

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फिर एक दिन अचानक उनकी बरसों की इस दोस्ती में दरार पड़ गई, वह भी एक छोटी-सी बात पर। हुआ यूँ कि, अलीशा के घर में फंक्शन था और वह काम में इतनी व्यस्त हो गई कि उसे याद ही नहीं रहा कि आज महक का जन्मदिन है और उन दोनों ने बाहर जाकर सेलीब्रेट करने का प्लान बनाया था। जन्मदिन सेलीब्रेट करना तो दूर, अलीशा उसे विश करना भी भूल गई।

उधर महक सारे दिन अलीशा के फोन का इंतजार करती रही। घरवालों ने उसे बहुत समझाया कि वह कोई जरूरी काम में व्यस्त होगी, इसलिए तुम्हें विश करना भूल गई लेकिन फिर भी महक सारे दिन अपसेट रही और उसने फैसला कर लिया कि अब वह कभी अलीशा से बात नहीं करेगी। बाद में अलीशा ने उसे बहुत मनाने की कोशिश की, पर महक नहीं मानी। बरसों की दोस्ती एक ही पल में टूट गई।

ऐसा ही एक वाकया रवि और वैभव के साथ हुआ। वे दोनों अच्छे दोस्त थे। एक दिन रवि ने जरूरत पड़ने पर वैभव से रुपए उधार लिए किंतु उसे वक्त पर लौटा न सका। वैभव को लगा कि अब रवि उसके रुपए नहीं लौटाएगा। दोस्त होने के नाते उसने रुपए माँगे तो नहीं पर उसे इग्नोर करना शुरू कर दिया। उनकी दोस्ती के बीच खटास आने लगी।

धीरे-धीरे उनका बातें करना न के बराबर हो गया। रवि को भी समझ नहीं आया कि वैभव उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है। कुछ समय बाद जब रवि ने वैभव को रुपए लौटा दिए और कहा,"यार माफ करना आर्थिक तंगी की वजह से रुपए लौटाने में देरी हो गई" तो वैभव को बहुत पछतावा हुआ।

अक्सर लोग छोटी-छोटी बातों की वजह से या गलतफहमियों का शिकार होकर बरसों की मेहनत से लगाए दोस्ती रूपी पेड़ को बिना सोचे-समझे एक ही पल में काट बैठते हैं। वे भावुकता में गलत निर्णय कर बैठते हैं। वे कभी यह जानने की कोशिश ही नहीं करते कि दोस्त ने किन परिस्थितियों की वजह से उन्हें निराश किया है।

अगर आप अपने दोस्त की परिस्थितियों को समझने का प्रयास करते हैं, कोई भी निर्णय लेने में जल्दबाजी नहीं करते हैं और मन में कोई संशय होने पर दोस्त से खुलकर बात करते हैं तो निश्चय ही आप अपने दोस्तों को नहीं खोएँगे।

सच तो यह है कि दोस्ती में भी कुछ उसूल होते हैं। अगर आप इन पर अमल करते हैं तो आपकी दोस्ती सदा के लिए कायम रहेगी :

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माफ करना सीखें
अनजाने में अगर दोस्त से कोई गलती हो जाए तो उसे दिल से न लगाइए। ऐसा न सोचिए कि उसने यह क्यों किया, उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। गलतियाँ सबसे होती हैं, उन्हें नजरअंदाज़ करना सीखिए। एक-दूसरे को माफ कीजिए और गलतियों को दुबारा न दोहराने का वादा कीजिए।

छोटी-छोटी बातों को तवज्जो न दें
" उसने मुझे एसएमएस नहीं किया... मुझे विश नहीं किया... मुझे नोट्स नहीं दिए... मेरा काम करने से मना कर दिया...।" कई बार दोस्ती इन छोटी-छोटी बातों की भेंट चढ़ जाती है। जबकि इन बातों से ज्यादा महत्वपूर्ण आपके दोस्त का साथ है जो एक बार छूट गया तो फिर उम्रभर मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप अपनी दोस्ती में छोटी-छोटी बातों को तवज्जो न दें।

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