एक पत्र, दोस्त के नाम

फाल्गुनी

Webdunia
ND
ND
मेरी सखी,
मधुर यादें,
आज मित्रता दिवस पर मन कर रहा है कि मैं तुमसे ढेर सारी बातें करूँ। लेकिन कहाँ से शुरू करूँ? आज कहने को हम एक ही शहर में है। लेकिन दिलों के बीच दूरियों का लंबा रेगिस्तान है। मुझे याद है वे पल, जब हम एक-दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे। याद है वे पल भी, जब एक-दूसरे का नाम भी सुनना हमें गवारा नहीं। कहाँ, किससे गलती हुई?

तुम मुझे नहीं समझ सकी या मैं तुम्हें पहचान न सकी? किसे दोष दूँ अपनी रिक्तता का? आज मैं तुम्हारे बिना बहुत अकेली हूँ लेकिन मन नहीं है कि इस सच को स्वीकार करूँ। तुम बहुत याद आती हो लेकिन हिम्मत नहीं है कि यह बात तुमसे कह दूँ।

आज नफरत का आवेग तो थम चुका है मैं फिर तुमसे जुड़ने को बेताब भी हूँ लेकिन नहीं भूल पा रही हूँ तुम्हारा वो विश्वासघात। जिसे तुम अब भी मेरी ही गलतफहमी का नाम देती हो। मेरी वो नितांत निजी अनुभूतियाँ जो मैंने सिर्फ और सिर्फ तुमसे बाँटी थी। एक दिन किसी और से किसी और ही रूप में सुनने को मिली तो यकीन मानों मैं जमीन पर आ गिरी।

मैं यकायक विश्वास नहीं कर पाई कि जो बात मेरे साए तक से अनजान थी एक अजनबी के मुँह से कैसे किस तरह से निकल रही है? जाहिर सी बात है, इसे तुम गलतफहमी का नाम नहीं दे सकती।

मैंने तुम पर खुद से ज्यादा विश्वास किया और उसका फल भोगा है, इसे कैसे, किस तरह से भूला दूँ? जो बात मैं खुद से भी करने से कतरा रही थी, जिस बात को स्वीकार करने में मुझे एक साल लगा कि यह मेरा सच है। वह बात तुम तक पहुँचते ही इतनी सस्ती और हल्की हो जाएगी, यह तो मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था।

अब उन दोस्तों के लिए मुझे इस बात को खुल कर बताना ही पड़ेगा जो एक जरा सी नादानी के कारण अपनी बरसों की दोस्ती गँवा सकते हैं। तुम्हारी तरह। मुझे बताना होगा उन्हें कि दोस्त का विश्वास बनाए रखना कितना जरूरी है।

मैं और बरखा बचपन की मित्र थे (हैं,नहीं कहूँगी)। सार्थक-‍निरर्थक बातों का पिटारा खोले हम घंटों बतियाया करते। ऐसे ही किसी कोमल लम्हे में मेरी जिन्दगी में किसी ने दस्तक दी। मैं खुद नहीं समझ सकी कि यह सब कब, कैसे और क्यों हुआ। पर हुआ। हाँ, मुझे प्यार हुआ। शुरूआत में मैं खुद से भागती रही। इस सच को स्वीकार करने में मैंने लंबा समय लिया।

और जब मुझे लगा कि मेरी दुनिया बदलने लगी है। मैं उड़ रही हूँ आसमान में। मुझे अपने आसपास की हर चीज सुहानी लगने लगी। तब मुझे स्वीकार करना पड़ा कि मुझे प्यार हुआ। इस खूबसूरत अहसास को मैं सारी दुनिया से छुपाना भी चाहती थी और 'एट द सेम टाइम' सारी दुनिया को बताना भी चाहती थी।

ND
ND
ऐसे में बरखा के सिवा कौन हो सकता था मुझे समझने वाला। मगर मैं नहीं जानती थी‍ कि मेरी दोस्त का भोलापन मुझे इस अहसास से हमेशा के लिए जुदा कर देगा। मैंने अपने दिल की हर महीन परत बरखा के सामने खोल कर रख दी।

मैं जानती थी कि यह बात कहीं और नहीं जाएगी, जाना भी नहीं चाहिए क्योंकि जिसके कारण मेरी जिन्दगी में इतनी हलचल मची थी, खुद उसे भी अभी इस बात का पक्का यकीन कहाँ था कि मैं पिघल सकती हूँ।

बहरहाल, मेरी सखी जिस कॉलेज में पढ़ती थी उसी कॉलेज में मेरे उस 'चितचोर' की बहन पढ़ती थी। बरखा की मासूमियत देखिए कि उसने ना जाने कब किस धुन में उसे मेरे उस प्यार के बारे में बता दिया जो अभी शुरू भी नहीं हुआ था।

इसके बाद जो हुआ, वह बताने लायक नहीं है, लेकिन छुपा कर भी क्या होगा? वो अफसाना गलतफहमी की बलिवेदी पर शहीद हो गया। मेरा प्यार शुरू होने से पहले खत्म हो गया। मैं कुछ जानती-समझती इससे पहले मेरे 'चितचोर' की बहन आकर मुझे मेरी भावनाओं के चिथड़े थमा गई। वो भी इस घटिया रूप में कि मुझे हमेशा के लिए प्यार, दोस्ती, विश्वास और फीलिंग्स शेयरिंग से नफरत हो गई।

मैंने बरखा से पूछा तो उसका कहना था मुझे क्या पता कि वो उसकी बहन है और मैंने तो यूँ ही सामान्य बात की थी। तुम मुझसे बेकार में उलझ रही हो, तुम्हें गलतफहमी हुई है,तुम्हारा प्यार मेरी वजह से नहीं टूटा।

खैर, मेरे चितचोर को मुझसे शिकायत है कि मैंने वो बात बरखा को बताई ही क्यों, जब तक कि आपस में खुल कर बात ना हुई हो। वो भी सही है। आज हम सब एक-दूसरे से नाराज हैं। मेरे चितचोर को मैं विश्वसनीय नहीं लगती हूँ, मुझे बरखा पर विश्वास नहीं है। बरखा चितचोर की बहन से नाराज है। बहन भाई से खफा है।

आज मैं अकेली हूँ, मुझे प्यार, दोस्ती, रिश्ते, भावनाएँ, फीलिंग्स शेयरिंग सबकी जरूरत है लेकिन मुझे इन्हीं शब्दों से नफरत भी है। बताओ बरखा, मैं क्या करूँ?

जिस चिराग से उजियारा चाहा
उसी चिराग से मैं जला बैठी अपना आशियाना।

दोस्तों, मित्रता दिवस पर सावधानी रखिए कि अपने मित्रों से कितनी और कैसी बातें शेयर करनी है और अगर किसी ने अपना समझ कर कुछ बताया हो तो प्लीज, प्लीज उस सिक्रेट को ओपन मत कीजिए। वरना, जीवन भर के लिए एक दोस्त खो बैठेंगे मेरी तरह।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में पानी में उबालकर पिएं ये एक चीज, सेहत के लिए है वरदान

सर्दियों में बहुत गुणकारी है इन हरे पत्तों की चटनी, सेहत को मिलेंगे बेजोड़ फायदे

DIY फुट स्क्रब : चावल के पाउडर में ये मीठी चीज मिलाकर फटी एड़ियों पर लगाएं, तुरंत दिखेगा असर

फ्रीजर में जमा बर्फ चुटकियों में पिघलाएगा एक चुटकी नमक, बिजली का बिल भी आएगा कम

सर्दियों में साग को लम्बे समय तक हरा रखने के लिए अपनाएं ये तरीके, कई दिनों तक नहीं पड़ेगा पीला

सभी देखें

नवीनतम

भारतीय ज्ञान परंपरा की संवाहक हैं शिक्षा बोर्ड की पाठ्यपुस्तकें : प्रो. रामदरश मिश्र

हड्डियों की मजबूती से लेकर शुगर कंट्रोल तक, जानिए सर्दियों की इस सब्जी के हेल्थ बेनिफिट्स

किस बीमारी से हुआ तबला उस्‍ताद जाकिर हुसैन का निधन, क्‍या होता है IPF और कैसे इससे बचें?

सीरिया में बशर सत्ता के पतन के बाद आतंकवाद बढ़ने का खतरा

Vijay Diwas 2024: 16 दिसंबर 1971 को क्या हुआ था? जानें 8 रोचक बातें