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दद्दू का दरबार : गलत निशाना

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एमके सांघी

प्रश्न : दद्दू जी उमरिया के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को उनके घर में बंधक बनाकर लूट की वारदात को अंजाम देने वाले 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि सभी आरोपी नशे के आदि है, पैसा खत्म होने के बाद नशे के लिए लूटने एडीजे साहब के घर में घुसे थे। सवाल यह है कि चोरों को पुलिस ने वारदात के मात्र 24 घंटों के भीतर कैसे गिरफ्तार कर लिया वरना सैकडों केस पुलिस की फाइलों में धूल खाते रहते हैं।
 
उत्तर : देखिए चोर-बदमाशों का अलिखित नियम होता है कि वे जज, वकील तथा पुलिस वालों को अपना शिकार नहीं बनाते है। यदि अनजाने में भूलवश इनमें से कोई शिकार बन गया तो तीन बातें होती हैं। पहली अपनी गलती सुधारते हुए अपराधी स्वयं पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देते हैं आखिर उन्हें लंबे समय तक अपने धंदे में रहना होता है। दूसरा उनके साथी चोर-बदमाश ‘अबे मरवाओगे क्या’ कहते हुए पुलिस को सूचना देकर उन्हें पकड़वा देते हैं। तीसरे यदि उक्त दो बातें नहीं हुई तो पुलिस की प्रतिष्ठा का सवाल होता है और वह बहुत कुछ जानती है। अत: अपराधियों को देर-सबेर दबोच ही लेती है।

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