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दद्दू का दरबार : इंदौर हो देश की राजधानी

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एमके सांघी

प्रश्न : दद्दूजी, ऐसे समय में जब विश्व के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सपरिवार भारत यात्रा पर दिल्ली में हों व अमेरिका तथा पूरे विश्व की निगाहें हम पर केंद्रित हों, उस समय कुछ दिल्लीवासियों द्वारा शूद्र राजनीति तथा व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते दंगों को अंजाम दिया जाना अत्यंत निंदनीय है। आप क्या कहेंगे इस बारे में?
 
उत्तर : निश्चित ही यह देश के गौरव पर बट्टा लगाने की कोशिश है जिसके लिए दिल्ली की जनता के साथ राजधानी में बैठे देश के कर्णधार पक्ष व‍ विपक्ष के नेता भी जिम्मेदार हैं। दद्दू का तो कहना है कि देश की राजधानी दिल्ली बदलकर इंदौर कर दी जानी चाहिए।
 
शायद परिवर्तन का यह 'झटका' कई गणित बदलकर रख दे। दिल्ली प्रदूषण से पीड़ित है, इंदौर की वायु शुद्ध है। इंदौर सफाई में देश में नंबर 1 है। यहां का मौसम भी शानदार व विपदारहित रहता है। यमुना बुरी तरह प्रदूषित है, हमारी नर्मदा इतनी शुद्ध व पवित्र है कि इसका पानी पिया जा सकता है।
 
 
दिल्ली के पास ऐतिहासिक लाल किला है तो हमारे पास मांडू व महेश्वर के किले। दिल्ली के राजघरानों का इतिहास रक्तरंजित है तो उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य, इंदौर की अहिल्याबाई व धार के राजा भोज लो‍कप्रिय शासक रहे हैं जिनका राज रामराज्य के समकक्ष रहा है।
 
दिल्ली देश के दुश्मनों के हमले की जद में है, तो इंदौर काफी दूर है। इंदौर देश में मध्य में है तथा उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम देश की चारों सीमाओं के पास पड़ेगा।
 
लगातार 3 वर्षों से देश का सबसे स्वच्छ नगर देश की राजधानी होना चाहिए। सत्ता के केंद्र को दिल्ली से हटाकर वहां जमे कई गलत लोगों की जड़ें खोदना जरूरी है।

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