योगगुरु का भ्रष्टाचार के खिलाफ हठयोग!

भ्रष्टाचार को जड़-मूल से उखाड़ेंगे बाबा रामदेव

Webdunia
- शिव शर्मा
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प्रसन्नता का विषय है कि बाबा रामदेव अपनी योग-साधना से भ्रष्टाचार को जड़-मूल से उखाड़ने का शंखनाद कर चुके हैं। इतना ही नहीं, वे तो नई दिल्ली के रामलीला मैदान में सत्याग्रह भी कर चुके और पुलिस द्वारा भगाए जाने के बाद अब हरिद्वार के अपने आश्रम में सत्याग्रह कर रहे हैं।

कालेधन को विदेशों से देश में लाने के लिए हठयोग का सहारा लेंगे। इसके लिए वे अपना जीवन भी अर्पित करने के लिए तत्पर हैं। योग क्रिया का अब तक तो स्वास्थ्य से ही संबंध रहा है लेकिन अब वे योग द्वारा राजनीतिक दांव-पेच भी सिखाने जा रहे हैं।

महात्मा गांधी ने सत्याग्रह का प्रयोग देश को गुलामी से स्वतंत्र बनाने के लिए किया। अब बाबा रामदेव योग एवं सत्याग्रह का कॉकटेल बना कर देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने जा रहे हैं।

जिस अष्टांग योग के वे शिविर लगाए हुए हैं, उसमें शरीर के आठ अंगों को सुदृढ़ बनाया जाता है। घुटने, हाथ-पैर, छाती, सिर,वचन, दृष्टि, बुद्धि आदि अंगों की सबलता के लिए इसमें कार्य किया जाता है। कालेधन का संबंध काले धंधों से होता है। प्रत्याहार अर्थात इंद्रियों पर पूर्ण अधिकार। वासनामयी सुख ही भ्रष्टाचार और कालेधन की गटर-गंगा है।

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अब जो करोड़ों लोग बाबा के भक्तजन यदि स्वयं ही यह शपथ ले लें कि वे रिश्वत नहीं लेंगे और न देंगे तो भ्रष्टाचार मुक्त समाज तो हो ही जाएगा किंतु उनके भक्तगण तो कहते हैं कि हम अपने भ्रष्टाचार को मिटाने की बात नहीं कर रहे हैं, हम तो विदेशी बैंकों में जो कालाधन जमा है, उसे अपने घर लाने की बात कर रहे हैं ताकि हमारे भी घर रिलायंस के अंबानियों की तरह आलीशान बनें। हम सब भी अमीर बनना चाहते हैं।

वैसे योगाचार्यों का तो पता नहीं किंतु अधिसंख्य बाबा-संन्यासी अपनी इंद्रियों पर ही पूर्ण अधिकार नहीं रख पा रहे हैं तो भ्रष्टाचार एवं कालेधन पर क्या रख पाएंगे। जितने भी धार्मिक ट्रस्ट हैं, उनमें दान कर टैक्स बचाने वाले उद्योगपति, नेता, अफसर कैसे अष्टांग योग द्वारा भ्रष्टाचार को मिटा पाएंगे, इसमें संदेह है।

काला धन ईजाद करने वाले संन्यासी तो होते नहीं हैं। वे अपने परिवार, राजनीतिक दलों एवं अपने धंधे को सुगम बनाने के लिए ही तो कालेधन का उपयोग करते हैं। भला फिर वे क्यों कालेधन और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सत्याग्रह करेंगे? अष्टांग-सत्याग्रह से यह तो हो सकता है कि लोग जो अधिक खा-खाकर मुटिया रहे हैं, वे थोड़ा स्वस्थ हो जाएं किंतु कालाधन बनने से कैसे रुकेगा या कालाधन कैसे विदेशों से अपने घर आएगा, अभी कहा नहीं जा सकता।

यदि बाबा अपनी फार्मेसी में कोई ऐसी औषधि ईजाद कर सकें कि लोग स्वयंमेव उसका सेवन कर अपना कालाधन उगलने लगें, तो यह संभव हो सकता है। वैसे बाबा कालेधन के लिए सत्याग्रह का प्रयोग तो कर ही रहे हैं। वैसे उनका सत्याग्रह का प्रयोग सफल होते नहीं दिख रहा है क्योंकि उनका गुस्सा उनके सत्याग्रह की धार कुंद कर रहा है।

इससे सबसे ज्यादा परेशानी उनके भक्तों को ही हो रहा है, जिन्हें अनशन और सत्याग्रह करने का पूरा मौका भी नहीं मिला और उन्हें रामलीला मैदान छोड़ना पड़ा।

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