भारतमाता पूरी पराजय पर वेदना और दर्द से तड़प उठी है। कोई भी व्यक्ति भारतमाता और भारतीयों को महात्मा गाँधी से अधिक प्यार नहीं करता। दिल्ली में जो हादसा हुआ उसने भारत के लोगों को आगामी इतिहास के लिए आवाज, कारण तुक और स्वर प्रदान किया। मैं प्रार्थना करता हूँ कि भारत का इतिहास सुर और ताल के साथ लिखा जाएगा जिसका सार होगा कि यदि महात्मा गाँधी असफल हुए तो भारतमाता भी असफल हो जाएगी ।
कोई भी गाँधी से महान मृत्यु को प्राप्त नहीं कर सकता है। वो अपनी प्रार्थना की जगह पर गए अपने राम से बात करने। उनकी मृत्यु कभी भी गरम पानी, डॉक्टर्स या नर्स को बुलाते हुए बिस्तर पर नहीं हो सकती। वो कभी भ ी बिस्तर पर बीमार पड़े आधे-अधूरे शब्द बोलते हुए नहीं मर सकते। वो खड़े-खड़े मरे, यहाँ तक कि नीचे बैठे हुए। राम भी उन्हें ले जाने के लिए उत्सुक थे जब तक कि वो अपनी प्रार्थना वाली जगह पर पहुँचते ।
जब सुकरात अपने विचारों के लिए मरे और क्राइस्ट अपने विश्वास के लिए, उनका विश्वास था कि उनके जैसा कोई और उदाहरण प्रस्तुत नहीं कर सकता।
ईश्वर का वह व्यक्ति धरती पर जिसके पदचिहृ हैं - पंडित जवाहारलाल नेहर ू
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महान व्यक्तियों और प्रतापी व्यक्तियों की कांस्य और मार्बल की प्रतिमा स्थापित की जाती है, लेकिन उस ईश्वरीय व्यक्ति ने अपने पूरे जीवनकाल में क्रांतिकारी प्रबंधन किए हैं, जोकि करोड़ों और करोड़ो लोगों के दिलों में रच-बस गए हैं, इसलिए हम सभी थोड़े-बहुत वैसे हो जाएँ जिससे वो बने थे, फिर भी अनंत का तुच्छ हिस्सा हैं। उनका विस्तार पूरे भारत में था, केवल जगहों पर या किसी चुनिंदा स्थानों पर, या एसेंबली में नहीं, लेकिन प्रत्येक गाँव में और उन दबे-कुचले लोगों के हृदय में और उन लोगों में जो दु:खी हैं। वो करोड़ों लोगों के दिलों में रहते हैं और हमेशा रहेंगे।
... वो चले गए, और पूरे देश की यही भावना है कि वो इसे सूना और उजाड़ छोड़ गए। सबका दिमाग यह महसूस करता है और मुझे नहीं पता हम कब तक इससे मुक्त होने में सक्षम हो पाएँगे, और अब इस भावना के साथ ही गर्व के भाव के साथ धन्यवाद दे रहे हैं कि इस पीढ़ी को ऐसे पराक्रमी व्यक्ति से जुड़ने का मौका मिला। आने वाले समय में, शताब्दियों और कई सहस्त्राब्दियों के बाद, लोग इस पीढ़ी के बारे में सोचेंगे जब ईश्वर का वह मनुष्य पृथ्वी पर अपने चिहृ छोड़ गए और सोचेंगे कौन थे व ो ? , किस प्रकार छोटे, भी उनकी राह पर चलेंगे और हो सकता है इस पवित्र धरती पर जहाँ उनके कदमों के निशां मौजूद हों। आइए उनके प्रति मूल्यवान बनें। आइए हमेशा वैसे ही रहें।
...वो चले गए, और पूरे देश की यही भावना है कि वो इसे सूना और उजाड़ छोड़ गए। सबका दिमाग यह महसूस करता है और मुझे नहीं पता हम कब तक इससे मुक्त होने में सक्षम हो पाएँगे, और अब इस भावना के साथ ही गर्व के भाव के साथ धन्यवाद दे रहे हैं कि इस पीढ़ी को ऐसे
उनके महान बलिदान हमारे अन्त:करण को सचेत करेंग े - सरदार वल्लभभाई पटे ल
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यद्यपि वे अनश्वर हैं फिर भी आज वे राख में तब्दील हो जाएँगे, शाम के 4 बजे, गाँधीजी के अविनाशी शिक्षाएँ हमेशा हमारे साथ रहेंगी। यहाँ तक कि मैंने महसूस किया है कि गाँधीजी के न खत्म होने वाला उत्साह अभी भी हमारे आस-पास मौजूद है और भविष्य में भी देश की सत्ता की बराबर निगरानी करता रहेगा।
जिस पागल युवा ने उनकी हत्या कर दी थी यदि वह सोचता है कि ऐसा करके वह उनके पवित्र मिशन को नष्ट कर देगा तो वह गलत था। शायद भगवान भी गाँधीजी के मिशन को पूरा करना चाहते थे और उनकी मृत्यु के बाद भी खुशियाँ कायम रखना चाहते थे।
मैं आश्वस्त हूँ कि गाँधीजी के महान बलिदान हमारे देश के लोगों की अन्त:रात्मा को जागृत करेगा और प्रत्येक भारतीय के दिल में अत्यधिक जिम्मेदारी का आहृवाहन करेगा। मैं आशा और प्रार्थना करता हूँ कि गाँधीजी के मिशन को पूरा कर पाएँ ।
इस पवित्र मौके पर, हममें से कोई भी अपने हृदय को उल्लासित करने की क्षमता नहीं रखते। आओ सब एक साथ मिलकर खड़े हों और हिम्मत से इस देश को हुई क्षति का सामना करें, जो हमें जकड़े हुए है। आओ सभी बुद्धिजन वचन दें कि हमलोग गाँधीजी की शिक्षा और आदर्शों को हमेशा जीवित रखेंगे।
महात्मा गाँधी ने अपने झुके हुए कंधों पर मानवता के कर्त्तव्यों का जिम्मा उठाया और अब उनके लिए खड़ें हों और उसे आपस में बाँटें। यदि करोड़ों भारतीय उस कर्तव्य को बराबर बाँट लें और सफलतापूर्वक उसका निर्वहन करें, यह किसी करिश्मे से कम नहीं होगा।
अपने झुके हुए कंधों पर मानवता जिम्मा उठाय ा - मौलाना अबुल कलाम अजा द
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महात्मा गाँधी ने अपने झुके हुए कंधों पर मानवता के कर्त्तव्यों का जिम्मा उठाया और अब उनके लिए खड़ें हों और उसे आपस में बाँटें। यदि करोड़ों भारतीय उस कर्तव्य को बराबर बाँट लें और सफलतापूर्वक उसका निर्वहन करें, यह किसी करिश्मे से कम नहीं होगा ।
देश को उसकी स्वतंत्रता और उसका तिरंगा दिय ा - श्रीमती सरोजनी नायड ू
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महात्मा गाँधी, जिनके मृत शरीर ने कल अग्नि से यह वादा किया कि वह मृत नहीं होंगे। यह सच था दाह संस्कार का कार्यक्रम मरे हुए राजाओं के बीच हुआ जिन्हें दिल्ली में भुला दिया गया है, लेकिन वह राजाओं के राजा थे। यह भी सच है कि ये वो थे जो शांति के वाहक थे उनका दाह संस्कार योद्धा की तरह पूरे सम्मान के साथ किया जाना चाहिए। उन योद्धाओं से कहीं बेहतर, जिन्होंने सेना की अगुवाई इस छोटे कद-काठी के व्यक्ति के लिए की, सबसे बहादुर, सबका सबसे सच्चा मित्र। दिल्ली फिर से महान क्रांति का केंद्र और शरण स्थल बन गया है, जिन्होंने देश को विदेशी दासता से मुक्त कराया और उसे उसकी स्वतंत्रता और उसका तिरंगा दिलाया ।
हिन्दू समुदाय के विमोच क - डॉ राजेंद्र प्रसा द
क्या हम कभी ऐसा सोच सकते हैं कि गाँधीजी हिंदुओं या अपने धर्म के लिए कोई संकट ला सकते हैं? क्या यह संभव था कि हिन्दू समुदाय का यह विमोचक और गरीबों और असहायों का मुक्तिदाता कभी भी ऐसा करने की सोच भी सकता है?
क्या हम कभी ऐसा सोच सकते हैं कि गाँधीजी हिंदुओं या अपने धर्म के लिए कोई संकट ला सकते है ं? क्या यह संभव था कि हिन्दू समुदाय का यह विमोचक और गरीबों और असहायों का मुक्तिदाता कभी भी ऐसा करने की सोच भी सकता ह ै? लेकिन संकीर्ण विचार वाले और संकुचित सोच वाले, जो हिन्दू धर्म के मर्म को नहीं समझ पाए हैं वो इस प्रकार सोचते हैं और वर्तमान परिस्थिति का सीधा परिणाम इस प्रकार की सोच है ।
अतीत को भुलाने का एकमात्र प्रतीक - डॉ एस. राधाकृष्ण् न
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गाँधीजी पर अचानक हुए इस हमले से मैं स्तब्ध हूँ कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। यह अविश्वसनीय, अकथनीय घटना हुई है। हमारे युग के उस सहृदय, सबसे उन्नत, सबसे प्रेरणादायक व्यक्ति का एक व्यक्ति के गुस्से का शिकार होना यह दर्शाता है कि हम अभी भी सुकरात, जिन्होंने जहर पी लिया था, जीसस को सूली पर चढ़ा दिया गया था उस दौर से अब तक विकसित नहीं हो पाए हैं। महात्मा गाँधी, अतीत को भुलाने वाले एकमात्र प्रतीक अब नहीं रहे। हमने उन्हें मार दिया लेकिन उनके अंदर मौजूद सत्य और प्यार की लौ को कभी बुझा नहीं पाएँगे ।
कब विश्व संतों के लिए सुरक्षित हो पाएग ा ? क्या प्रभुत्व, क्या पूरा विश्व, शिक्षा ले पाएगा कि यदि हम हिंसा के रसातल में, दुष्टता और कोलाहल में नहीं गिरना चाहते, इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है, जिसके लिए गाँधीजी जिए और मरे ।
हमें उनके बताए रास्तों का पालन जरूर करना चाहिए - जयप्रकाश नाराय ण
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यह समय बोलने का नहीं है यह शोक का अवसर है। आओ विलाप करें। देश विलाप करे और उनकी आत्मा से उसे पोछें उस महानतम व्यक्ति के निर्दोष खून को जो अब तक विश्व में पहली बार बना है। हमें महात्मा गाँधी के दिखाए रास्ते पर जरूर चलना चाहिए।
वो किसी खास मिशन के लिए दिल्ली आए थे, ‘करो या मरो । ‘ उन्होंने बहुत कुछ किया और अंत में उन्होंने अपने कर्तव्यों के लिए अपने जीवन की कुर्बानी दी। आओ अब उनके द्वारा अधूरे छोड़े हुए पुनीत कर्तव्यों को पूरा करें।