बापू के एक मित्र जो किसी को याद नहीं

प्राणजीवन मेहता क्यों रह गए उपेक्षित

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महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व हजारों लाखों के लिए प्रेरणास्रोत है लेकिन उनके जीवन के कई महत्वपूर्ण मौकों पर उन्हें सही निर्णय लेने में मदद करने वाले और देश की आजादी के मार्ग पर पूरी ताकत से आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाले प्राणजीवन मेहता को उनके कद के अनुरूप सम्मान नहीं मिल पाया और यह कहना गलत नहीं होगा कि इस नाम की काफी उपेक्षा की गई है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास पर लंबे समय से काम करने वाले प्रो. श्रीराम मेहरोत्रा के अनुसार मेहता अब तक गाँधीजी के जीवन के सबसे उपेक्षित अध्याय रहे हैं। गाँधीजी और उनके सहयोगियों पर बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन मेहता जैसे उनके महत्वपूर्ण सहयोगी के विषय में लोगों को बहुत कम पता है।

नमक सत्याग्रह का विचार हिंद स्वराज का लेखन फीनिक्स फार्म और अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना कुछ ऐसी घटनाएँ हैं जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। इन सभी अहम मौकों पर एक शख्स हमेशा महात्मा गाँधी के आसपास रहे जो प्राणजीवन मेहता थे और खुद महात्मा गाँधी प्राणजीवन को अपना प्रेरणास्रोत मानते थे।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इतिहास के भूतपूर्व प्रोफेसर मेहरोत्रा ने कई ऐतिहासिक दस्तावेज का परीक्षण करने के बाद ऐसा निष्कर्ष निकाला है। इसमें वह पत्र भी शामिल है जिसे मेहता ने गाँधीजी के राजनैतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले को लिखा था।

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