मध्यप्रदेश के 10 प्रसिद्ध गणेश मंदिर, जानिए सूची

Webdunia
सोमवार, 5 सितम्बर 2022 (11:24 IST)
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तो गणेशजी का जन्म हुआ था। ‍गणेश उत्सव चल रहा है, जो अनंत चतुर्दशी के दिन तक रहता है। इस दौरान गणेशजी के मंदिर में उनकी विशेष पूजा और दर्शन होते हैं। यूं तो मध्यप्रदेश में भगवान गणेश के सैंकड़ों मंदिर हैं लेकिन यहां जानिए कुछ खास प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों की सूची।
 
1. चिंतामण गणेश मंदिर, उज्जैन : मध्यप्रदेश की तीर्थ नगरी उज्जैन में चिंतामन गणेश जी का प्राचीन मंदिर है, जो महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में स्थित है। गर्भगृह में प्रवेश करते ही गौरीसुत गणेश की तीन प्रतिमाएं दिखाई देती हैं। यहां पार्वतीनंदन तीन रूपों में विराजमान हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक। उज्जैन में बड़ा गणपति मंदिर भी प्रसिद्ध है।
 
2. गणेश मंदिर, खजराना, इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर में खजराना क्षेत्र में बहुत ही प्राचीन गणेश मंदिर स्थित है। यहां वक्रतुंड श्रीगणेश की 3 फुट प्रतिमा चांदी का मुकुट धरे रिद्धी-सिद्धी के साथ विराजमान हैं।
 
3. सिद्धेश्वर गणेश मंदिर, छिंदवाड़ा : छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ ब्लाक में ग्राम तुर्कीखापा-अडवार नदी के तट पर प्राचीन सिद्धेश्वर गणेश भगवान की मूर्ति विराजमान हैं। 
 
4. बेहट गणेश मंदिर, ग्वालियर : ग्वालियर के बेहट में स्थित शिवालय और गणेश मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं। यहां पर तानसेन ने बैठकर संगीत साधना की थी। 
5. चिंतामण सिद्ध गणेश, सीहोर : भोपाल के पास सीहोर में भी गणेशजी का प्राचीन सिद्ध मंदिर है जिसे चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर कहते हैं। इस मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य ने की थी। 
 
6. कल्कि गणेश मंदिर, जबलपुर : मध्यप्रदेश में जबलपुर में एक ऐसा गणेश मंदिर है, जहां भगवान मूषक की नहीं बल्कि घोड़े की सवारी पर विराजमान हैं। इन्हें 'कल्कि गणेश' जहा जाता है। कहते हैं भगवान गणेश कलयुग में प्रकट होकर कल्कि अवतार का साथ देंगे। 
 
8. पोहरी गणेश मंदिर, शिवपुरी : शिवपुरी के पोहरी किले में बना प्राचीन गणेश मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है।
 
9. महागणपति मंदिर, भोपाल : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में महागणपति नाम से गणेश मंदिर है। कहते हैं कि देश में इस नाम से मात्र दो ही मंदिर है। एक पुणे में और दूसरा भोपाल में।
 
10. बड़ा गणपति मंदिर, इंदौर : कहते हैं कि इंदौर में जो मंदिर है उसकी मूर्ति विश्‍व की सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है। इस मूर्ति को चोला चढ़ाने के लिए सवा मन घी और सिंदूर का प्रयोग होता है। श्रृंगार करने में पूरे आठ दिन का समय लगता है।

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