Ganesh utsav 2023: कैसे हुई गणेश उत्सव की शुरुआत, जाने परंपरा और इतिहास

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History of Ganesh Chaturthi: प्राचीनकाल से ही भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणपति का जन्मदिन मनाया जाता रहा है। हर घर और मंदिर में गणेश उत्सव मनाने की परंपरा प्राचीनकाल से ही रही है, परंतु इसे सार्वजनिक रूप से भव्य पैमाने पर मनाने की परंपरा अंग्रेजों के काल में शुरु हुई।
 
खासकर महाराष्ट्र में गणपति उत्सव मनाए जाने का प्रचलन ज्यादा रहा है। गणपति उत्सव की शुरुआत 1893 में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की। 1893 के पहले भी गणपति उत्सव बनाया जाता था पर वह सिर्फ घरों तक ही सीमित था। उस समय आज की तरह पंडाल नहीं बनाए जाते थे और ना ही सामूहिक गणपति विराजते थे।
 
तिलक उस समय एक युवा क्रांतिकारी और गर्म दल के नेता के रूप में जाने जाते थे। वे एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता और प्रभावी ढंग से भाषण देने में माहिर थे। यह बात ब्रिटिश अफसर भी अच्छी तरह जानते थे कि अगर किसी मंच से तिलक भाषण देंगे तो वहां आग बरसना तय है।
 
तिलक 'स्वराज' के लिए संघर्ष कर रहे थे और वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते थे। इसके लिए उन्हें ऐसा सार्वजानिक मंच चाहिए था, जहां से उनके विचार अधिकांश लोगों तक पहुंच सके। इस काम को करने के लिए उन्होंने गणपति उत्सव को चुना और इसे सुंदर भव्य रूप दिया जिसे आज हम देखते हैं।
 
तिलक के इस कार्य से दो फायदे हुए, एक तो वह अपने विचारों को जन-जन तक पहुंचा पाए और दूसरा यह कि इस उत्सव ने आम जनता को भी स्वराज के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी और उन्हें जोश से भर दिया।
 
इस तरह से गणपति उत्सव ने भी आजादी की लड़ाई में एक अहम् भूमिका निभाई। तिलक जी द्वारा शुरू किए गए इस उत्सव को आज भी हम भारतीय पूरी धूमधाम से मना रहे हैं और आगे भी मनाते रहेंगे।
 
- गौरव दुबे

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