Ganesh Visarjan 2025: गणेश उत्सव का उल्लास, भक्ति और समर्पण अनंत चतुर्दशी के दिन एक भावनात्मक विदाई के साथ समाप्त होता है। अगर आप पहली बार अपने घर में गणपति बप्पा को लेकर आए हैं, तो उनकी विदाई भी पूरी श्रद्धा और सही विधि से होनी चाहिए। यह क्षण केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमारे और भगवान के बीच का एक पवित्र रिश्ता है। आइए जानते हैं कि गणेश विसर्जन के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपकी 10 दिन की सेवा सफल हो।
तैयारी और अंतिम पूजा
गणपति बप्पा को विदाई देने से पहले, आपको सबसे पहले अपने तन और मन को शुद्ध करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। काले रंग के कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि यह रंग शुभ कार्यों में अच्छा नहीं माना जाता। इसके बाद, बप्पा की मूर्ति को गंगाजल से पवित्र करें और पूरे विधि-विधान से उनकी अंतिम पूजा करें।
बप्पा की प्रिय चीजें, जैसे मोदक, नारियल, गन्ना और लड्डू उन्हें अर्पित करें। धूप और दीप जलाकर उनकी आरती करें। यह समय उनसे क्षमा मांगने का भी है। पूजा के दौरान हुई किसी भी भूल-चूक के लिए उनसे क्षमा-याचना करें और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और मंगलकामना की प्रार्थना करें।
सम्मानपूर्वक विदाई
गणपति का विसर्जन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। शुभ मुहूर्त के लिए आप किसी पंडित से सलाह ले सकते हैं। विसर्जन के लिए मूर्ति को घर से ले जाते समय पूरे परिवार को 'गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ' का जयकारा लगाना चाहिए। यह नारा खुशी और आशा का प्रतीक है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मूर्ति को कभी भी जल में फेंकना नहीं चाहिए। यह भगवान का अनादर होता है। मूर्ति को धीरे-धीरे और पूरे आदर के साथ जल में प्रवाहित करें। यह प्रक्रिया आपके सम्मान और विश्वास को दर्शाती है।
विसर्जन के बाद ध्यान रखने योग्य बातें
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जलाशयों को गंदा न करें: विसर्जन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप किसी भी जल स्रोत को गंदा न करें। प्लास्टिक, थर्माकोल या अन्य पूजन सामग्री को पानी में न बहाएं। आप इन्हें अलग से इकट्ठा करके किसी साफ जगह पर रख सकते हैं या मिट्टी में दबा सकते हैं। इको-फ्रेंडली मूर्तियों का उपयोग करना सबसे अच्छा है।
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क्रोध न करें: विसर्जन के दिन किसी पर क्रोध न करें। यह एक पवित्र और शांतिपूर्ण प्रक्रिया है।
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पीछे मुड़कर न देखें: ऐसी मान्यता है कि विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि हमें अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और यह विश्वास रखना चाहिए कि बप्पा का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है।
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अनादर न हो: मूर्ति और पूजन सामग्री को किसी ऐसी जगह विसर्जित न करें जहां उनका अनादर हो।
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