श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड उचित है, जानिए रहस्य

Webdunia
- बेणी रघुवंशी
 
अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी चाहिए यानी किस तरफ सूंड वाले श्री गणेश पूजनीय हैं? आइए जानें ..... 
 
दाईं सूंड : जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ दाईं ओर हो, उसे दक्षिण मूर्ति या दक्षिणाभिमुखी मूर्ति कहते हैं। यहां दक्षिण का अर्थ है दक्षिण दिशा या दाईं बाजू। दक्षिण दिशा यमलोक की ओर ले जाने वाली व दाईं बाजू सूर्य नाड़ी की है। जो यमलोक की दिशा का सामना कर सकता है, वह शक्तिशाली होता है व जिसकी सूर्य नाड़ी कार्यरत है, वह तेजस्वी भी होता है।
 
इन दोनों अर्थों से दाईं सूंड वाले गणपति को 'जागृत' माना जाता है। ऐसी मूर्ति की पूजा में कर्मकांड अंतर्गत पूजा विधि के सर्व नियमों का यथार्थ पालन करना आवश्यक है। उससे सात्विकता बढ़ती है व दक्षिण दिशा से प्रसारित होने वाली रज लहरियों से कष्ट नहीं होता।
 
दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा सामान्य पद्धति से नहीं की जाती, क्योंकि तिर्य्‌क (रज) लहरियां दक्षिण दिशा से आती हैं। दक्षिण दिशा में यमलोक है, जहां पाप-पुण्य का हिसाब रखा जाता है। इसलिए यह बाजू अप्रिय है। यदि दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें या सोते समय दक्षिण की ओर पैर रखें तो जैसी अनुभूति मृत्यु के पश्चात अथवा मृत्यु पूर्व जीवित अवस्था में होती है, वैसी ही स्थिति दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा करने से होने लगती है। विधि विधान से पूजन ना होने पर यह श्री गणेश रुष्ट हो जाते हैं। 
 
बाईं सूंड : जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ बाईं ओर हो, उसे वाममुखी कहते हैं। वाम यानी बाईं ओर या उत्तर दिशा। बाई ओर चंद्र नाड़ी होती है। यह शीतलता प्रदान करती है एवं उत्तर दिशा अध्यात्म के लिए पूरक है, आनंददायक है।
 
इसलिए पूजा में अधिकतर वाममुखी गणपति की मूर्ति रखी जाती है। इसकी पूजा प्रायिक पद्धति से की जाती है। इन गणेश जी को गृहस्थ जीवन के लिए शुभ माना गया है। इन्हें विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं लगती। यह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। थोड़े में ही संतुष्ट हो जाते हैं। त्रुटियों पर क्षमा करते हैं। 

ALSO READ: कैसे होती है चमत्कारी गणेश यंत्र साधना

ALSO READ: यह 14 नाम प्रसन्न करते हैं श्रीगणेश को

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shradh 2025: घर में पितरों की फोटो लगाते समय न करें ये गलतियां, जानिए क्या हैं वास्तु शास्त्र के नियम

Solar eclipse 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, क्या किसी बड़ी तबाही का है संकेत?

Sarvapitri amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, क्या होगा भारत पर इसका असर?

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि: 9 दिनों का महत्व और महिषासुर मर्दिनी की कथा

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर घर पर कैसे करें घट स्थापना और दुर्गा पूजा

सभी देखें

धर्म संसार

20 September Birthday: आपको 20 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

20 Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 20 सितंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Navratri 2025: मां वैष्णो देवी गुफा में आद‌ि कुंवारी से लेकर भैरव शरीर तक छुपे हैं कई चमत्कारी रहस्य, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में दुर्गासप्तशती पाठ करने के नियम और विधि

Dussehra 2025 Date: विजयादशी दशहरा कब है?

अगला लेख