क्या अर्थ है श्री गणेश के नाम का.. जानिए

Webdunia
भाद्र वदी चतुर्थी तिथि से दस दिन तक अर्थात अनंत चतुर्दशी तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव 25 अगस्त से 5 सितंबर तक मनाया जाएगा। यह उत्सव महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अब दक्षिण भारत व उत्तर भारत में भी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोग श्रद्धा से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना अपने घर, गली, मोहल्ले में करते हैं और रोज उनकी पूजा, आरती व रंगारंग कार्यक्रमों से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। 
 
ALSO READ: क्या आप जानते हैं गणेश महोत्सव का इतिहास
 
तीन, पांच या दस दिन बाद मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस वर्ष श्री गणेश 11 दिन विराजित रहेंगे। क्योंकि दशमी तिथि दो दिन आ रही है। 5 सितंबर को श्री गणेश प्रतिमा का विसर्जन होगा। विसर्जन करने के पीछे मान्यता है कि जिस प्रकार मेहमान घर में आते हैं तो कुछ लेकर आते हैं इसी प्रकार भगवान को भी हम हर वर्ष अपने घर बुलाते हैं, वे घर में पधारते हैं तो जरूर सभी के लिए कुछ न कुछ लेकर आते हैं इस प्रकार घर में खुशहाली व सुख-समृद्धि कायम रहती है। इसके बाद प्रतिमा विसर्जित कर हम उन्हें अपने दिव्य धाम को वापिस भेजते हैं। 
 
गणपति - गण+पति। 'पति' यानी पालन करने वाला। 'गण' शब्द के विभिन्न अर्थ हैं - महर्षि पाणिनि अनुसार : 'गण, यानी अष्टवसुओं का समूह। वसु यानी दिशा, दिक्‌पाल (दिशाओं का संरक्षक) या दिक्‌देव। अतः गणपति का अर्थ हुआ दिशाओं के पति, स्वामी। गणपति की अनुमति के बिना किसी भी देवता का कोई भी दिशा से आगमन नहीं हो सकता, इसलिए किसी भी मंगल कार्य या देवता की पूजा से पहले गणपति पूजन अनिवार्य है।

ALSO READ: श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने के पवित्र नियम
 
गणपति द्वारा सर्व दिशाओं के मुक्त होने पर ही पूजित देवता पूजा के स्थान पर पधार सकते हैं। इसी विधि को महाद्वार पूजन या महागणपति पूजन कहते हैं। भगवान गणपति का पूजन किए बगैर कोई कार्य प्रारंभ नहीं होता। विघ्न हरण करने वाले देवता के रूप में पूज्य गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने तथा मनोकामना को पूरा करने वाले देवता हैं।
 
ALSO READ: गणेश चतुर्थी पर करें दुर्लभ वनस्पति श्वेतार्क की पूजा, देखें चमत्कार
 
श्रीगणेश निष्कपटता, विवेकशीलता एवं निष्कलंकता प्रदान करने वाले देवता हैं। जिस प्रकार पानी की बूंद में यदि तेल का जरा-सा भी अंश हो, तो वह पानी में पूर्णरूप से घुल नहीं सकता, उसी प्रकार जब तक गणपति भक्त गणपति की समस्त विशेषताएं आत्मसात नहीं कर लेता, तब तक वह गणपति से एकरूप नहीं हो सकता। 

ALSO READ: क्या मार्गी शनि में गणेश स्थापना शुभ है?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

धन, ज्ञान और शांति के लिए गुरु पूर्णिमा पर करें ये 7 उपाय, दूर होंगी सारी बाधाएं

गुरु पूर्णिमा 2025: सोच समझकर लें गुरु दीक्षा, जानिए सच्चे गुरु की पहचान

हरियाली अमावस्या कब है, जानिए पितृ दोष मुक्ति के 5 अचूक उपाय

गुरु पूर्णिमा: प्राचीन भारत के 14 महान गुरु जिन्होंने दिया धर्म और देश को बहुत कुछ

गुरु का मिथुन राशि में उदय, 12 राशियों का राशिफल

सभी देखें

धर्म संसार

यदि आप कावड़ यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो कैसे शिवजी पर जल अर्पित करें, जानिए

सावन मास से इन 3 राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम, बनने जा रहा है दुर्लभ संयोग

आषाढ़ व्रत पूर्णिमा का क्या है महत्व, इन 5 उपायों से दूर होगी धन की समस्या

गुरु और जीवन : अभिन्न हैं

भविष्यवाणी: अब होने वाली है स्वर्ण युग की शुरुआत, जानिए श्रीकृष्ण ने माता गंगा से क्या कहा...

अगला लेख