श्री गणेश पर रचना : नमामि त्वम् विनायकम्

राजीव रत्न पाराशर
भू-गणेश भुव: गणेश, गणेश तत्सवितुर हैं,
अथ गणेश इति गणेश, गणेश कालचक्रधुर हैं।
सत् गणेश चित गणेश, गणेश ही आनंद हैं,
शत् गणेश शून्य गणेश, गणेश ही अनंत हैं।
 
शुभ गणेश श्री गणेश, गणेश ब्रह्मनाद हैं,
जप गणेश पूजा गणेश, गणेश ही प्रसाद हैं। 
 
कर्म गणेश पूण्य गणेश, गणेश ही प्रारब्ध हैं,
ईश गणेश ईष्ट गणेश, गणेश ही आराध्य हैं।
 
मित्र गणेश बंधु गणेश, गणेश से संबंध हैं,
कण गणेश अणु गणेश, गणेश रंद्र रंद्र हैं।
 
मनु गणेश प्रभु गणेश, गणेश ही सर्वेश हैं,
मैं गणेश तुम गणेश, गणेश ही गणेश हैं।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सावन मास के सोमवार को शिवलिंग के रुद्राभिषेक से मिलते हैं ये 5 लाभ

कुंभ राशि में लगेगा चंद्र ग्रहण, युद्ध का बजेगा बिगुल, समुद्र में उठेगा तूफान, धरती पर आएगा भूकंप

दूसरे सोमवार के दिन कामिका एकादशी का संयोग, व्रत का मिलेगा दोगुना फल, इस तरह से करें उपवास

सावन में इस रंग के कपड़े पहनने की वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए सावन में जरूर करें शिव जी का ये उपाय

सभी देखें

धर्म संसार

July 2025 Hindu Calendar : 21 से 27 जुलाई का साप्ताहिक पंचांग, जानें सप्ताह के 7 दिन के शुभ मुहूर्त

Aaj Ka Rashifal: इन 3 राशियों को आज मिल सकती है मनचाही मंज़िल, पढ़ें 20 जुलाई का राशिफल (12 राशियां)

20 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

20 जुलाई 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार करनी चाहिए कावड़ यात्रा?

अगला लेख