सामग्री- श्री गणेश यंत्र, मूंगे की माला, लाल आसन, घी का दीपक (यंत्र की अनुपलब्धता में पार्थिव गणेश या गणेशजी का चित्र भी प्रयोग कर सकते हैं)।
प्रथम- ' ॐ गुं गुरुभ्योनम:' की 4 माला जाप करें। पश्चात श्री गणेशजी का षोडषोपचार या पंचोपचार पूजन करें। स्मरण रहे- लाल वस्त्र पर चावल की ढेरी लगाकर गणेशजी को स्थापित करें। यंत्र इत्यादि न उपलब्ध हो तो सुपारी पर कलावा लपेटकर गणेशजी का ध्यान करें। पश्चात्
(1)
साधारण मंत्र- ' ॐ गं गणपतये नम:' के 21-51 माला जप करें।
(2) ' ॐ वक्रतुण्डाय हुं'
(3) जिन व्यक्तियों या परिवार पर ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा हो, वे उपरोक्त गणपति मंत्र की जगह निम्न मंत्र को जपें।
' ॐ गणेश ऋणं छिन्धि छिन्धि वरेण्यं हुं नम: फट्।'
(4) मंत्र जप करने में उच्चारण का ध्यान रखना आवश्यक है अन्यथा परिणाम ठीक नहीं मिलेंगे। इसके लिए निम्नलिखित प्रार्थना अवश्य करें।
गाइये गणपति जगवन्दन, शंकर-सुवन भवानी नंदन। सिद्धि-सदन गजवदन, विनायक, कृपासिंधु सुंदर सब लायक। मोदक प्रिय, मुद मंगल दाता, विद्या वारिधि बुद्धि-विधाता। मांगत तुलसीदास कर जोरे, बसहिं रामसिय मानस मोरे। इसके पश्चात नित्य एक माला जप करें।
प्रात: उठकर श्री गणेश का ध्यान कर प्रणाम करें। किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में गणेश स्मरण आवश्यक है।
ध्यान योग्य निम्न बातें- अपने घर, दुकान, फैक्टरी आदि के मुख्य दरवाजे के ऊपर तथा ठीक उसकी पीठ पर अंदर की तरफ गणेश प्रतिमा या चित्र लगाना न भूलें। यदि न लगाई हो तो गणेश चतुर्थी के दिन जरूर लगाएं।
मुख्य दरवाजे के सामने कभी भी जूते-चप्पल आदि उतारें, बाईं तरफ उतारें।