देवी गंगा का 10 दिव्य योग- ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार का दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा व वृषभ राशि का सूर्य को आदि दश महायोग की साक्षी में पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। अत: गंगा दशहरा के दिन गंगा माता का पूजन पितृओं को तारने वाला तथा पुत्र, पौत्र और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना गया है।
इस दिन मां गंगा की यह आरती करने से वह प्रसन्न होकर वरदान देती है। पढ़ें आरती-
श्री गंगा आरती-Ganga Aarti
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ॐ जय गंगे माता...
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ॐ जय गंगे माता...
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ॐ जय गंगे माता...
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।
ॐ जय गंगे माता...
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता...
ॐ जय गंगे माता...।।
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गंगा मैया की आरती
जय गंगा मैया मां जय सुरसरी मैया।
भवबारिधि उद्धारिणी अतिहि सुदृढ़ नैया।।
हरी पद पदम प्रसूता विमल वारिधारा।
ब्रम्हदेव भागीरथी शुचि पुण्यगारा।।
शंकर जता विहारिणी हारिणी त्रय तापा।
सागर पुत्र गन तारिणी हारिणी सकल पापा।।
गंगा-गंगा जो जन उच्चारते मुखसों।
दूर देश में स्थित भी तुरंत तरन सुखसों।।
मृत की अस्थि तनिक तुव जल धारा पावै।
सो जन पावन होकर परम धाम जावे।।
तट-तटवासी तरुवर जल थल चरप्राणी।
पक्षी-पशु पतंग गति पावे निर्वाणी।।
मातु दयामयी कीजै दीनन पद दाया।
प्रभु पद पदम मिलकर हरी लीजै माया।।
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