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वैसे तो आप बनारस में किसी भी पान या चाय की दुकान पर चले जाइए, आपको चर्चाओं का दौर और बनारस की नब्ज़ की कुछ धड़कनें तो मिल ही जाएँगी, पर पप्पू की अड़ी को शोहरत मिली है तो यों ही नहीं मिली है। कमोबेश आज भी यहाँ बनारस की लोकचेतना को बराबर महसूस किया जा सकता है। वक्त के साथ कुछ बदलाव आए हैं पर फिर भी अड़ीबाज़ तो आ ही रहे हैं। कुछ अड़ीबाजों ने किनारा कर भी लिया तो नए आ जाते हैं। साहित्य और पत्रकारिता की नगरी बनारस जिससे कबीर से लेकर प्रेमचंद तक का नाम जुड़ा हुआ है, वहीं ये संभव है कि आप चाय की दुकान में भगवान के स्थान पर पत्रकारों के इतने बड़े फोटो इतने सम्मान से लगे हुए पाएँ। पप्पू की अड़ी पर पत्रकार सुशील त्रिपाठी और अनिल कुमार मिश्र 'झुन्ना' की तस्वीरें बरबस ही आपका ध्यान खींच लेती हैं।