दिल्ली विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार और जनलोकपाल के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सत्ता पर तो काबिज हो गए, लेकिन सत्ता में आते ही ईमानदार केजरीवाल भी झूठे बन गए।
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राजनीति के कीचड़ में उसकी सफाई करने उतरी आप आज इस कीचड़ के दलदल में फंसती जा रही है। केजरीवाल भी अब राजनीतिज्ञों की तरह पलट-पलट कर बयान देने में माहिर हो गए हैं। ईमानदार और सचाई के पर्याय बन चुके केजरीवाल अब झूठ बोलने लगे हैं।
कौनसा है पहला झूठ और उसकी सचाई केजरीवाल ने सरकार से वादा किया था कि सरकार सबसे पहला काम जनलोकपाल विधेयक को पास कराएगी। रामलीला मैदान में इस विधेयक को पास करवाया जाएगा। इस पर केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया है इस कारण जनलोकपाल विधेयक अभी पास नहीं हो सकेगा। केंद्र सरकार से जनलोकपाल के लिए इजाजत लेनी होगी। सच्चाई : इस मामले में सचाई यह है कि यह पत्र बहुत पहले ही जारी हो चुका है। दूसरी बार लोकपाल विधेयक पास होने के बाद ही सरकार ने राज्यों को लोकायुक्त बनाने का अधिकार दे दिया है। दिल्ली में लोकायुक्त पहले से ही काम कर रहा है।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से कहा था कि वे सुरक्षा नहीं लेंगे। सच्चाई : केंद्र सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार ने केजरीवाल को जेड श्रेणी सुरक्षा दे रखी है। भाजपा ने एक इंस्पेक्टर का नाम जारी किया है जो हर समय केजरीवाल के साथ रहता है। यह केजरीवाल के सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है।
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आप के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विनोद बिन्नी के बारे में केजरीवाल ने कुछ दिनों पहले कहा था कि बिन्नी ने कोई मंत्री पद नहीं मांगा। उन्हें कोई शिकायत नहीं है। वे बस मिलने आए थे। सचाई : अब केजरीवाल बिन्नी की बगावत पर पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि बिन्नी मंत्री बनना चाहते थे, लेकिन अब लोकसभा टिकट मांग रहे हैं।
अगले पन्ने पर, क्या केजरीवाल सच में कमिश्नर थे...
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अरविंद केजरीवाल ने बड़ी अधिकारी नौकरी छोड़कर समाजसेवा को अपना लक्ष्य बनाया। केजरीवाल हमेशा कहते रहते हैं कि मैं इनकम टैक्स कमिश्नर था, खूब पैसे कमा सकता था जबकि राजनीति में मैं सेवा करने आया हूं। सचाई : केजरीवाल के इस बयान पर रेवेन्यू अफसरों की एसोसिएशन ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल कभी कमिश्नर नहीं रहे।
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दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले केजरीवाल दिल्ली सरकार के घोटालों लेकर आंदोलन कर रहे थे। कॉमनवेल्थ घोटाले में 370 पेज का सबूत बाबा रामदेव के नेतृत्व में उन्होंने थाने में दिया था। सचाई : मुख्यमंत्री बनने के बाद अब इन घोटालों पर केजरीवाल पर कह रहे हैं कि अगर किसी के पास शीला दीक्षित के खिलाफ सबूत हैं तो वे उन्हें दें हम कार्रवाई करेंगे। खुद थाने में सबूत दर्ज करवाने वाले केजरीवाल आज दूसरों से सबूत मांग रहे हैं।
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नहीं लगेगा जनता दरबार : जनता की समस्याओं का सुनकर समाधान करने के लिए केजरीवाल ने जनता दरबार की शुरुआत की थी, लेकिन पिछले शनिवार को बहुत भीड़ आ जाने से अव्यवस्थाएं फैल गईं।
इस माहौल को देखकर केजरीवाल ने जनता दरबार लगाने से मना कर दिया और सफाई देते हुए कहा कि एक अच्छी व्यवस्था के साथ फिर से जनसुनवाई का कार्यक्रम शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि शिकायतों के निवारण के लिए ऑनलाइन, कॉल सेंटर और चिटि्ठयों के द्वारा करेंगे, हफ्ते में एक बार जनता से सचिवालय में मुलाकात भी करेंगे।
अगले पन्ने पर, बिजली के दाम घटाने की सचाई...
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बिजली पर गोलमाल : बिजली के दामों में बढ़ोतरी को लेकर केजरीवाल ने शीला सरकार को कई बार घेरा और कई घरों में जाकर तो केजरीवाल ने मीटरों के तार भी काटे थे। आप पार्टी के घोषणापत्र में बिजली की दरें आधी करने का वादा किया गया था, इस बात पर अमल तो किया, लेकिन 400 यूनिट तक, जो किसी भी तरीके से बड़े तबके के लिए लाभदायक नहीं है।
अगले पन्ने पर, क्या कर्मचारियों के साथ केजरीवाल ने किया धोखा...
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कच्चे कब होंगे पक्के? : घोषणापत्र में वादों की लंबी झड़ी में अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की बात प्रमुखता से कही गई थी, लेकिन इस तरफ अभी तक कुछ भी अमल नहीं हुआ है, इस बात पर केजरीवाल ने सफाई देते हुए कहा कि कानून पेचीदगियों को दूर करके ऎसे मामलों का जल्द ही निपटारा किया जाएगा।
अगले पन्ने पर, मीटरों में क्यों बदला केजरीवाल का रुख...
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मीटरों का क्या होगा? : दिल्ली की जनता ने पानी के इस्तेमाल को लेकर कई बार कहा कि इस्तेमाल से ज्यादा पानी का बिल चुकाना पड़ता है। चुनाव के दौरान केजरीवाल हाथों में मीटर लेकर कहा करते थे कि हवा के दवाब से चलते हैं, लेकिन खुद सत्ता में आने के बाद केजरीवाल यही मीटर घरों में लगवा रहे हैं।
लोगों के विरोध प्रदर्शन करने के बाद दिल्ली सीएम ने जल बोर्ड के अधिकारियों से पानी के मीटरों की जांच करने का आदेश दिया है, उन्होंने कहा कि उपभोक्ता की मर्जी के बिना मीटर न लगाएं।
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PTI
बिल कब होंगे माफ? : केजरीवाल ने पार्टी के घोषणापत्र में तमाम बिंदुओं पर अमल करने का भरोसा दिया था, इनमें एक खास बात यह है कि केजरीवाल ने कहा था कि आंदोलन के दौरान जिन लोगों ने बिल जमा नहीं कराए, उनके बिलों को माफ किया जाएगा। और ताजा बयान में दिल्ली सीएम का कहना है कि इस मामले पर बातचीत जारी है, बहुत जल्द हल निकल आएगा।
हालांकि अभी केजरीवाल की सरकार को बने ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरह से उनकी शुरुआत हुई है उससे तो यही लगता है कि जनता को उनसे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं पालनी चाहिए।