एक आंकड़े के अनुसार लोकसभा के सभी कार्यकालों में अब तक महिलाओं की संख्या 3.5 प्रतिशत से लेकर 10.86 प्रतिशत के बीच रही है। पहली लोकसभा के गठन से लेकर 60 वर्षों बाद भी 15वीं लोकसभा तक महिला सांसदों की संख्या महज 19 से बढ़कर 61 तक ही आ पहुंच पाई है।
महिला सदस्यों की संख्या में हुई यह बढ़ोतरी आवश्यक बदलावों के बनिस्बत बेहद निराशाजनक है। ताजा लोकसभा चुनावों के लिए भी सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों की लिस्ट में महिलाओं को जगह दी है।
अगले पन्ने पर, अधिकारी से लेकर समाजसेवी तक
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2014 के चुनावों में 33 महिला उम्मीदवारों को खड़ा किया है। आप की महिला उम्मीदवारों में नोबल पुरस्कार के नामांकित तिलिया देवी से लेकर देश की प्रथम महिला डीजीपी कंचन भट्टाचार्य और मेधा पाटकर जैसी समाजसेवी महिलाएं शामिल हैं।
आप की योजनाओं में यह शामिल है कि महिलाओं के प्रति अपराध खत्म होने चाहिए। आप ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की आदिवासी महिला शिक्षक सोनी सोरी को टिकट दिया है। सोनी को दिल्ली पुलिस द्वारा माओवादी संगठन से जुड़े होने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2013 तक विभिन्न भारतीय न्यायालयों ने उन पर लगे आठ में से छ: प्रकरणों में उन्हें दोषमुक्त करार दिया है। आम आदमी पार्टी ने बॉलीवुड अभिनेत्री और पूर्व मिस इंडिया गुल पनाग को भी चंडीगढ़ से अपना उम्मीदवार बनाया है।
पार्टी ने प्रथम महिला डीजीपी कंचन भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया है। भट्टाचार्य ने 2004 में मैक्सिको में आयोजित हुई इंटरपोल मीटिंग में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
दुनियाभर के मीडिया जगत में वार ज़ोन के दौरान एलटीटीई के विरुद्ध रिपोर्ट प्रसारित करने वाली बहादुर जर्नलिस्ट सीएनएन इंडिया की पूर्व प्रमुख अनिता प्रताप को भी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। इसी फेहरिस्त में अगला नाम है बिहार की रहने वाली, नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुकी दिहाड़ी मजदूर तिलिया देवी का।
तिलिया ने दलितों के अधिकारों के लिए ताकतवर जमीनदारों से संघर्षपूर्ण लड़ाई लड़ी, जिसने पचास हजार लोगों की जिंदगियों को प्रभावित किया। आप ने रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड, मुंबई की पूर्व सीईओ व चेयरपर्सन मीरा सान्याल को भी चुनाव मैदान में उतारा है, जो महिला सशक्तीकरण के मुद्दे को नई आवाज देंगी। मीरा ने 75 हजार से ज्यादा महिलाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण देने का अभिन्न काम किया है।
दलितों के हक के लिए आवाज उठाती आई दया म णि बरला को भी पार्टी की ओर से टिकट दिया गया है। दयामणि ने पत्रकारिता की पढ़ाई करने के लिए नौकर के रूप में काम किया और कई रातें रेलवे स्टेशन पर गुजारीं। उन्होंने ही आर्सेलर मित्तल कॉर्पोरेशन को झारखंड में 40 गांवों को विस्थापित करने से रोका था।
अगले पन्ने पर, आंदोलन का चेहरा बनकर उभरीं...
नर्मदा बचाओ आंदोलन की आवाज मेधा पाटकर ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए गुजरात सरकार को सफलतापूर्वक चुनौती दी थी। वे ‘वर्ल्ड कमिशन ऑन डेम्स’ नामक संस्था की प्रतिनिधि भी हैं। यह संस्था प्रस्तावित बड़े बांधों द्वारा सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों के साथ पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों पर शोध करती है। वे भी आप के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
भोपाल गैस कांड पीड़ितों के अधिकारों के लिए लड़ती आई रचना ढिंगरा इस चुनाव में आप पार्टी से मैदान में हैं। इनके अलावा कई पुरस्कार जीत चुकी लेखिका प्रोफेसर सारा जोसेफ, बच्चों की सुरक्षा के लिए काम कर रही लेखिका नीना नायक जैसी हस्तियों को भी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। अब देखना यह है कि चुनावी रण में ये महिलाएं जीत का परचम लहरा पाती हैं या नहीं।