मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिखे पत्र में केजरीवाल ने कहा कि 'आप' की मांग है कि निर्वाचन आयोग यह (ओपिनियन) सर्वेक्षण करवाने वाले संगठनों और प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए ताकि गलत गतिविधियों में लगे लोग आसानी से बचने नहीं पाएं।
केजरीवाल ने बताया कि वे हाल ही में एक टेलीविजन चैनल द्वारा प्रसारित किए गए स्टिंग ऑपरेशन के सामने आने के बाद मुख्य निर्वाचन आयोग का ध्यान इस ओर आकर्षित करने के लिए यह पत्र लिख रहे हैं।
निर्वाचन आयोग के इस फैसले का स्वागत करते हुए कि वे चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से अंतिम दौर के मतदान तक ओपिनियन पोल की इजाजत नहीं देगा, केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी ओपिनियन पोल पर पूर्ण रोक के हक में नहीं है, लेकिन निर्वाचन आयोग से अनुरोध करती है कि ओपिनियन पोल्स के प्रसारण और प्रकाशन के लिए एक आचार संहिता होनी चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि निर्वाचन आयोग इस संबंध में पहले ही सक्रिय है और उसने जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव की मांग की है ताकि यह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में आने वाली ताजा चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सके और आयोग के इन प्रयासों का स्वागत किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मैं आयोग से एक बार फिर अनुरोध करूंगा कि वे अपने प्रयासों में तेजी लाए ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान किसी तरह के नियोजित प्रयासों को जनता को गुमराह करने का मौका नहीं मिल पाए।
अगले पन्ने पर, स्टिंग ऑपरेशन पर क्या लिखा केजरीवाल ने...
इस बीच समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) को लिखे एक और पत्र में केजरीवाल ने अनुरोध किया है कि एक समाचार चैनल द्वारा किए गए और 25 फरवरी को प्रसारित किए गए स्टिंग ‘ऑपरेशन प्राइम मिनिस्टर’ में सामने आए आरोपों की पड़ताल की जाए।
एनबीएसए के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर वी रवींद्रन को लिखे पत्र में केजरीवाल ने कहा कि 'आप' परिवार का मानना है कि इस स्टिंग ऑपरेशन में लगाए गए आरोपों के सत्यापन के लिए एक विशेष जांच दल द्वारा आपराधिक जांच करानी चाहिए और उच्चतम न्यायालय द्वारा इसकी निगरानी को तरजीह दी जानी चाहिए और पिछले कुछ समय में ओपिनियन पोल्स के नतीजों में छेड़छाड़ में राजनीतिक दलों की भूमिका के संबंध में राजनीतिक षड्यंत्र की सतह में जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन एक साजिश की ओर इशारा करता है जिसमें चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के माध्यम से चुनावों से पहले जनता की राय बनाई जाती है और उसे प्रभावित की जाती है। यह साजिश लोकतंत्र की बुनियाद को चुनौती देती है।
पत्र में कहा गया है कि स्टिंग ऑपरेशन दिखाता है कि कुछ जानीमानी सर्वेक्षण संस्थाओं के प्रमुख आर्थिक फायदों के लिए चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के नतीजों में छेड़छाड़ के लिए तैयार हैं। कई समाचार चैनलों के इस तरह की हेरफेर में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।
पत्र के मुताबिक यह दिखाता है कि कुछ राजनीतिक दल काले धन का इस्तेमाल करते हुए अपने पक्ष वाले सर्वेक्षणों को हासिल कर रहे हैं। ताजा खुलासे कोबरा पोस्ट के पहले किए जा चुके स्टिंग की अगली कड़ी हैं। कोबरा पोस्ट के सर्वेक्षण में किसी राजनीतिक दल विशेष के पक्ष में सोशल मीडिया के इस्तेमाल को दर्शाया गया है। (भाषा)