दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में किए गए एक चुनावी सर्वे में कुछ ऐसा ही तस्वीर सामने आ रही है। सर्वे के मुताबिक दिल्ली के सात में से छह लोकसभा सीटों पर आप जीत का परचम लहरा सकती है। बीजेपी को महज एक सीट मिलेगी जबकि कांग्रेस खाली हाथ ही रह जाएगी। एक न्यूज चैनल के लिए एसी नीलसन के सर्वे में ये बात सामने आई है।
अगले पन्ने, आप करेगी कांग्रेस का सूपड़ा साफ....
सर्वे के अनुसार लोकसभा चुनाव 2014 में दिल्ली के छह सीटों के अलावा मुंबई-ग्रेटर मुंबई और नोएडा-गाजियाबाद क्षेत्र के एक-एक लोकसभा सीट पर भी आप जीत हासिल करेगी। आप के इस प्रदर्शन का नुकसान बीजेपी कम और कांग्रेस ज्यादा भुगतेगी।
सर्वे के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर-मुंबई की 21 लोकसभा सीटों में आप कांग्रेस-यूपीए को जबरदस्त नुकसान पहुंचेगी। कांग्रेस और यूपीए के घटक दलों के पास 17 सीटें हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में यूपीए महज 3 सीटें जीत पाएगी। सर्वे कहता है कि बीजेपी 10 और आम आदमी पार्टी 8 सीटों पर जीत हासिल करेगी।
सर्वे के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में पीएम पद के लिए लोगों की पहली पसंद नरेंद्र मोदी ही हैं। दूसरे नंबर पर राहुल गांधी और तीसरे नंबर पर अरविंद केजरीवाल हैं। लेकिन दिल्ली-एनसीआर में अरविंद केजरीवाल ने मोदी को जबरदस्त टक्कर दी है। सर्वे के अनुसार 45 प्रतिशत लोग मोदी को पीएम बनते देखना चाहते हैं, जबकि 42 प्रतिशत लोगों की पसंद केजरीवाल हैं।
अगले पन्ने पर, जानी-मानी हस्तियों का आप की जीत पर कितना पड़ेगा प्रभाव....
इसलिए यह कहना गलत न होगा कि आप का प्रभाव दिल्ली से निकलकर देश के अन्य महानगरों और शहरों में देखने को मिल सकता है। हाल ही में पार्टी ने घोषणा की थी कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में 100 से ज़्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। इसके बाद आम आदमी पार्टी से अलग-अलग पृष्ठभूमि और विचारधाराओं वाली कई जानी-मानी हस्तियां जुड़ी हैं।
अपनी प्रशासनिक और सरकार चलाने की क्षमता मज़बूत या साबित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने के बावजूद पार्टी को अपने विस्तार का फ़ैसला लेना पड़ा। इसलिए आम आदमी पार्टी के नए सदस्यों में सभी तरह की राजनीतिक विचारधाराएं, विविधताएं और विरोधाभास देखने को मिलेंगे।
यह कहना गलत न होगा कि विस्तार के इस चरण में पार्टी को विभिन्न विचारधाराओं और राजनीतिक सोच वाले लोगों से परहेज़ नहीं है. उसकी एकमात्र शर्त ईमानदारी हो सकती है। पार्टी नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कहते हैं कि सभी सही और ईमानदार लोग पार्टी में आमंत्रित हैं।
अगले पन्ने पर, आप सदस्यों की ईमानदारी का फैसला कैसे होगा...
इन सदस्यों की ईमानदारी का फ़ैसला कैसे होगा, आने वाले महीनों और सालों में पार्टी के लिए इस सवाल का जवाब देना आसान नहीं होगा। विरोधाभासी विचारधाराओं के लोगों का पार्टी में शामिल होना भविष्य में आम आदमी पार्टी के लिए गले में फंसी हड्डी साबित हो सकता है क्योंकि उसके कई मौजूदा और भविष्य के नेताओं के अहं मुश्किल हालात में आपस में टकराएंगे।