नितिन गडकरी

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नितिन गडकरी का जन्म 27 मई 1957 को महाराष्ट्र के नागपुर जिले के एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ। पिता का नाम जयराम गडकरी तथा माता का नाम भानूताई गडकरी था। दोनों ही जनसंघ के सक्रिय सदस्य थे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े थे।

शायद ही कभी वे संगठन की बैठकों में गैरहाजिर रहे हों। पत्नी का नाम कंचन गडकरी है। तीन संतान हैं। दो पुत्र, निखिल और सारंग हैं, जबकि एक पुत्री केतकी है। वे कॉमर्स में स्नातकोत्तर हैं, इसके अलावा उन्होंने कानून तथा बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई भी की है।

गडकरी ने 1976 में नागपुर विश्वविद्यालय में भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। बाद में वह 23 साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने।

अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की खूबी की वजह से वे हमेशा अपने वरिष्ठ नेताओं के प्रिय रहे। 1995 में महाराष्ट्र में शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और 4 साल तक मंत्री पद पर रहे।

1989 में पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए और पिछले 20 वर्षों से विधान परिषद के सदस्य हैं। आखिरी बार 2008 में विधान परिषद के लिए चुने गए थे। वे महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं।

भाजपा के प्रमुख नेता होने के साथ नितिन गडकरी एक सफल उद्यमी भी हैं। वे एक बायो-डीजल पंप, एक चीनी मिल, एक लाख 20 हजार लीटर क्षमता वाले इथेनॉल (अल्कोहॉल) ब्लेन्डिंग संयंत्र, 26 मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्र, सोयाबीन संयंत्र, ऊर्जा संयंत्र आदि से जुड़े हैं।

दिसंबर, 2001 में भारतीय जनता पार्टी के 9वें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। 52 की आयु में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले नितिन इस पार्टी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष थे।गडकरी, महाराष्‍ट्र सरकार में 1995 से 1999 तक महाराष्‍ट्र सरकार के पीडब्‍लूडी में मंत्री रहे।

गडकरी का व्‍यक्तित्‍व राष्ट्रीय स्तर पर बहुत जाना पहचाना नहीं है पर चूंकि वे संघ के एक प्रतिबद्ध और निष्ठावान स्वयंसेवक हैं इसलिए आरएसएस के चहेते माने जाते हैं। उनके पिता जहां संघ के एक सामान्य कार्यकर्ता थे, वहीं माता एक प्रसिद्ध प्रचारक थीं। नितिन गडकरी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले महाराष्ट्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे तथा महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रहे।

विवादों से भी उनका नाता रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ कथित आपत्तिजनक बयान देने के लिए विवादों में घिरे और चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके अलावा एसएमएस इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड के अजय संचेती से भी इनके करीबी रिश्‍ते बताए जाते हैं। अजय संचेती पर छत्तीसगढ़ में कम कीमतों पर कोयला आवंटन का आरोप था।

1989 में वो पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए। हालांकि उससे पहले 1983 में वो चुनाव हारे भी थे। 1995 में गडकरी महाराष्ट्र में शिवसेना- भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और 4 साल तक मंत्री पद पर रहे।

केंद्र सरकार ने उन्हें नेशनल रूरल रोड डेवलपमेंट कमेटी (एनआरआरडीसी) का चेयरमैन बनाया। लंबे समय की बैठकों और शोध के बाद नितिन गडकरी ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी और प्रधानमंत्री के सामने अपना प्रेजेंटेशन दिया।

उनकी नई रिपोर्ट को स्‍वीकृति मिल गई थी और अब उनकी नई ग्रामीण सड़क स्‍कीम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के रूप में जानी जाती है. यह योजना 60,000 करोड़ की थी। 22 जनवरी 2013 को उन्होंने अपने द्वारा प्रवर्तित फर्म पूर्ति समूह में कथित अनियमितताओं में नाम आने के चलते भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस नेता नितिन गडकरी पर आरोप लगाते हैं कि वे अपनी राजनीतिक शक्तियों का इस्‍तेमाल अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए करते हैं। सितंबर 2012 में इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन की सदस्‍य अंजलि दमनिया ने दावा किया कि वह खुद गडकरी के पास गई और महाराष्‍ट्र में 70,000 करोड़ के सिंचाई घोटाले के बारे में बताया तथा इसके खुलासे के लिए उनकी मदद मांगी।

अं‍जलि का आरोप है कि नितिन ने किसी भी मदद से साफ इंकार कर दिया और कहा कि उनके शरद पवार के साथ व्‍यापारिक संबंध है और दोनों एक-दूसरे की मदद करते हैं। अंजलि ने यह भी दावा किया कि इसके बाद उन्‍हें धमकियां भी दी गईं और माफी मांगने के लिए कहा गया। इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन का दावा है कि गडकरी ने महाराष्‍ट्र के किसानों की मदद करने की बजाए अपना निजी फायदा किया।

निजी कंपनियों से बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निवेश के लिए चलाए जा रहे अभियान के दौरान नितिन गडकरी ने निजीकरण का भरसक समर्थन किया था। उन्होंने निजी निवेशकों, ठेकेदारों, बिल्डरों सहित अनेक व्यापार संगठनों की बैठकें लीं और निजीकरण की दिशा में बजट की बड़ी राशि उपलब्ध करवाई।

उन्होंने अपने प्रयासों से रूरल कनेक्टिविटी हेतु 700 करोड़ रुपए भी आवंटित करवाए। और अगले 4 वर्षों में वे महाराष्ट्र की 98% आबादी को हर मौसम में उपयुक्त रहने वाली सड़कों से जोड़ने में कामयाब रहे।

इससे अमरावती जिले के दूरदराज के मेलघाट-धरणी क्षेत्र में व्याप्त कुपोषण की समस्याओं को हल करने में भी मदद मिली, जबकि इससे पहले उक्त क्षेत्रों में चिकित्सा सहायता, राशन या शैक्षिक सुविधाओं की पहुंच नहीं थी। इस परियोजना का उद्देश्य आजादी के बाद से सड़क मार्ग से कटे 13, 736 दूरस्थ ग्रामों को सड़क से जोड़ना था।

एक राजनीतिज्ञ के रूप में नितिन गडकरी ने कभी अपना भविष्‍य नहीं देखा। वे एक व्‍यवसायी हैं और उसमें उनकी बहुत अच्‍छी पकड़ है। गडकरी एक अच्‍छे कृषक भी हैं। उनकी रुचि वाटर मैनेजमेंट और सोलर एनर्जी प्रोजेक्‍ट में भी है।

उन्‍हें इस बात की बेहतर जानकारी रहती है कि वर्तमान समय में खेती में किस तरह के आधुनिक उपकरणों का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए। उन्‍होंने हाल ही में विदेशों में केतकी ओरसीज ट्रेन कंपनी के नाम से फलों का निर्यात भी शुरू किया है।

वे पॉली सैक इंडस्‍ट्रीयल सोसायटी लिमिटेड के संस्‍थापक और अध्‍यक्ष, निखिल फर्निचर्स एंड एप्‍लाइंसेस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और प्रमोटर, अंत्योदय ट्रस्‍ट के संस्‍थापक और सदस्‍य तथा एम्‍प्रेस एम्‍प्‍लॉइज को-ऑपरेटिव पेपर मिल्‍स लिमिटेड के फांउडर और चेयरमैन हैं।

खेलों में उन्हें क्रिकेट पसंद है। इसके अलावा दलाई लामा, ओबामा और कृषि बैंकिंग पर केंद्रित पुस्तकें भी उनकी पसंद में शामिल है। मारधाड़ की फिल्में भी उन्हें भाती हैं, जिनमें ख़ासतौर पर अमिताभ बच्चन की 'ज़ंजीर' और 'दीवार' शामिल हैं। इसके अलावा 'तारे ज़मीन पर' और 'स्वदेश' जैसी संदेश देती हुई फ़िल्में भी उन्हें पसंद हैं।

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