डॉ. लोहिया, वीवी गिरि, चंद्रशेखर, रामधन हारे : 1957 का लोकसभा चुनाव कई दिग्गजों की हार का भी गवाह बना। दिग्गज समाजवादी नेता डा. राम मनोहर लोहिया को कांग्रेस ने हराया तो वीवी गिरी को एक निर्दलीय से हार का मुंह देखना पड़ा। उत्तरप्रदेश की चंदोली लोकसभा सीट से डॉ. लोहिया को कांग्रेस के त्रिभुवन नारायण सिंह ने हराया था। कांग्रेस के टिकट पर आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम लोकसभा क्षेत्र से वीवी गिरि मात्र 565 वोट से चुनाव हार गए थे। उन्हें निर्दलीय डॉ. सूरीदौड़ा ने हराया था। एक अन्य समाजवादी नेता पट्टम थानु पिल्ले केरल की त्रिवेन्द्रम लोकसभा सीट से चुनाव हारे थे। उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी ईश्वर अय्यर ने हराया था।
चंद्रशेखर ने भी पहला चुनाव 1957 में ही पीएसपी के टिकट पर लड़ा था। तब बलिया और गाजीपुर के कुछ हिस्से को मिलाकर रसड़ा संसदीय सीट थी। चंद्रशेखर ने इसी सीट से चुनाव लड़ा था और तीसरे नंबर पर रहे थे। जीत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सरयू पांडेय की हुई थी। युवा तुर्क के रूप में मशहूर रहे एक और नेता रामधन ने भी आजमगढ़ से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था लेकिन वे कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले हार गए थे।
पांच क्षेत्रीय दलों का उदय : इस चुनाव की यह भी विशेषता रही कि पहली बार कम से कम पांच बड़े क्षेत्रीय दल अस्तित्व में आए थे। तमिलनाडु में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़घम (द्रमुक), ओडिशा में गणतंत्र परिषद, बिहार में झारखंड पार्टी, संयुक्त महाराष्ट्र समिति और महागुजरात परिषद जैसे क्षेत्रीय दलों का गठन इसी चुनाव में हुआ था।