भारत के पड़ोसी देशों और विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन को लेकर भारत को कड़े फैसले लेने होंगे। स्थिति यह है कि भारत के सबसे अच्छे दोस्त अमेरिका के साथ भी संबंध खराब हो गए हैं। मोदी को वीजा न देने का अमेरिकी फैसला भी पुराने घाव के रूप में सामने आएगा। व्यापार नीति और कौंसुलर मुद्दों- जैसे कि देवयानी खोबरागड़े के मामलों को बड़ी कुशलता से संभालना होगा। इसके लिए मोदी को एक मजबूत और दूरदर्शी टीम की जरूरत पड़ेगी जोकि महत्वपूर्ण विदेश नीति जैसे मामलों पर उन्हें लगातार मार्गदर्शन दे सके। इसलिए सबसे बड़ा सबाल है कि मोदी किसे अपना विदेश मंत्री बनाएंगे?
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