इसी कड़ी में नरेन्द्र मोदी का ताजा इंटरव्यू है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मैं किसी को हराने वाराणसी नहीं आया हूं, मैं यहां दिल जीतने आया हूं। उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम यदि मुझसे मिलेंगे तो प्यार कर बैठेंगे। इसके साथ ही मशहूर पटकथाकार सलीम खान ने भी मोदी की उर्दू वेबसाइट को लांच किया है तथा मुसलमान को गुजरात दंगे भूलकर आगे बढ़ने की सलाह दी है। उन्होंने भरोसा भी दिलाया है कि गुजरात में अब कोई बेगुनाह नहीं मारा जाएगा।
दूसरी ओर राजनाथ ने 'मुस्लिम टोपी' पहनकर अपने पक्ष में समर्थन जुटा लिया है। मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे जव्वाद का भाजपा अध्यक्ष राजनाथसिंह को समर्थन किया है। जव्वाद ने कहा कि मुसलमानों में मोदी को लेकर अभी भी डर बना हुआ है। इस वजह से ही मुसलमानों ने भाजपा से दूरी बना रखी है। मुसलमान मोदी की बजाय राजनाथ को ज्यादा स्वीकार करते हैं, जैसे वो अटल जी को करते थे।
यदि चुनाव के बाद एनडीए को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो मोदी के लिए यह खतरे की घंटी हो सकती है। आडवाणी की नाराजगी भी उनकी राह में रोड़ा बन सकती है। इसलिए मोदी कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहे हैं। एएनआई के इंटरव्यू और उर्दू वेबसाइट लांच को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि मोदी को मुस्लिमों का कितना समर्थन मिलता है यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन मुस्लिमों से जुड़ने के लिए वे पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।