औरों में जगाएं शिक्षा का ज्ञान

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संयुक्त राष्ट्र संघ के शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा प्रति वर्ष 8 सितम्बर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका अंतर्निहित उद्देश्य यह है कि विश्व के अशिक्षित वर्ग में साक्षरता के प्रति जागरूकता बढ़े।

यूनेस्को के अनुसार साक्षरता का आशय व्यक्तिगत आजादी, विकास करने के पूर्ण अवसर और व्यक्ति का अपना शैक्षणिक स्तर उन्नयन करना है। साक्षरता का मुख्य उद्देश्य है- सबके लिए मौलिक और प्राथमिक शिक्षा के अवसर की प्राप्ति।

दुनिया भर में ऐसे कई शख्स हैं, जो पिछले कई सालों से बच्चों की जिंदगी को संवारने में जुटे हुए हैं। यह ऐसे बच्चों को जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है और जो स्कूल जा पाने में असमर्थ हैं उन्हें साक्षर ही नहीं कर रहीं, बल्कि उनके सम्पूर्ण बौद्धिक विकास की ओर ध्यान दे रही हैं।

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श्रीमती शिवानी घोष भोपाल में बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से 2007 से 'परवरिश म्यूजियम स्कूल' संचालित कर रही हैं, जिसमें इस समय स्लम एरिया के सैकड़ों बच्चे हैं। इस संस्था की शुरुआत इन्होंने चालीस बच्चों से की थी, तब से अब तक अनेक बच्चे साक्षर हो चुके हैं। 'परवरिश म्यूजियम स्कूल' में बच्चों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। श्रीमती घोष कहती हैं कि मेरा सपना सोसाइटी में आने वाले गैप को कम करना है ताकि हर बच्चा शिक्षित हो और आगे बढ़ें।

इन शख्सियतों के बीच ऐसी ही एक शख्स और हैं माता मंदिर में रहने वाली रीना शिवहरे, जिन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। नौकरी नहीं मिली तो इन्होंने आस-पास के बच्चों को ही पढ़ाना शुरू कर दिया। रीना कहती हैं कि मेरा पढ़े-लिखे लोगों से सिर्फ यही कहना है कि यदि आप शिक्षित हों तो उन बच्चों को साक्षर करो जो पढ़ नहीं पाए हैं या जो स्कूल जाने में असमर्थ हैं।

मध्यमवर्गीय परिवार में रहने वाली रीना के पास न तो कोई एनजीओ है और न ही कोई संस्था। यह घर पर ही गरीब बच्चों को पढ़ाती हैं और बदले में कोई शुल्क नहीं लेतीं। इनका मानना है कि यदि यह बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ गए तो इसी में मेरे शिक्षित होने की सार्थकता पूरी हो जाएगी। भविष्य में इनका सपना एक ऐसा ही छोटा स्कूल खोलकर इन बच्चों को साक्षर करना है। कोई स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से तो कोई व्यक्तिगत स्तर पर उन बच्चों को साक्षर बनाने में जुटा है, जो स्कूलों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

' एक पत्थर की भी तकदीर संवर सकती है, शर्त यह है कि सलीके से तराशा जाए।' आइए अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के इस मौके पर कुछ इसी तरह के इरादे के साथ शिक्षा रूपी ज्ञान फैलाने के काम में हम सभी जुट जाएं।

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