जनरल नॉलेज : विशालकाय फूल रेफ्लेशिया के बारे में

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रेफ्लेशिया अर्नोल्डी पौधे पैरेसाइट होते हैं और ज्यादातर टेट्रास्टिग्मा जीनस के वाईन के पौधों पर बढ़ते हैं। जब तक इनके फूल न खिलें, यह पौधे अदृश्य होते हैं, क्योंकि न तो इसका तना होता है और न ही पत्तियां। हां, इस पौधे की जड़ें ज़रूर होती हैं, लेकिन वो भी वाईन के टिशू में काफी गहराई में होती हैं।

रेफ्लेशिया पौधे की मौजूदगी तभी पता चलती है, जब वाईन पर इसकी कली आती है। इस कली को खिलने में नौ से बारह महीने का समय लगता है। बस, इस दौरान ही रेफ्लेशिया की मौजूदगी मालूम की जा सकती है। इस फूल की एक और रोचक बात यह है कि इसकी कली फूल बनने के पहले एक बड़े पत्तागोभी के आकार में बढ़ती है। रेफ्लेशिया के फूल बारिश के मौसम में रात के समय खिलते हैं।

रेफ्लेशिया फूल से सड़े मांस की दुर्गंध आती है, इसीलिए इसे कोर्पस्‌ (लाश) फ्लावर या मीट (मांस) फ्लावर भी कहा जाता है। रेफ्लेशिया के फूल लाल रंग के होते हैं। फूल की पांच पंखुड़ियां चमकीली और धब्बेदार होती हैं। इन फूलों का वजन 7-11 किग्रा होता है और व्यास 1 मीटर तक हो सकता है।

रेफ्लेशिया का फूल बीच में से कुएं की तरह होता है। इस कुएं में एक उभरी हुई सेंट्रल डिस्क होती है, जिस पर वर्टिकली कई कांटें लगे होते हैं। रेफ्लेशिया का फूल केवल 5-7 दिनों तक ही खिला रहता है, इसके बाद ये काला पड़कर सड़ने लगता है। यह मलेशिया, सुमात्रा, जावा, थाईलैंड, बोर्नियो और फिलीपींस के वर्षावनों में पाया जाता है।

ये फूल युनिसेक्शुअल होते हैं यानी नर और मादा फूल अलग-अलग होते हैं, इसलिए ये फूल पोलिनेशन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर होता है। रेफ्लेशिया फूल की दुर्गंध इस पौधे का एडेप्टेशन है। इस गंध से कीड़े-मकोड़े आकर्षित होते हैं, जो फूल के पोलीनेशन में सहायक होते हैं। यह फूल काफी दुर्लभ है और लुप्त होने की कगार पर है।

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