स्पर्धा को कई चरणों में बांटा गया है। हर चरण को कम समय में पूरा करने वाले प्रतियोगी को आखिर में विजेता घोषित किया जाता है। हर दिन की समाप्ति पर जिस भी साइकल सवार ने सबसे कम समय में रेस पूरी की है, उसे पीली जर्सी दी जाती है। इस रेस का रास्ता हर साल बदलता रहता है। लेकिन रेस क हीं से भी शुरू हो, खत्म पेरिस में ही होती है।
इस प्रतियोगिता के बारे में कहा जाता है कि इसमें वही भाग ले सकता है, जो शारीरिक रूप से मजबूत हो। इस प्रतियोगिता की तुलना कुछ समीक्षक कई दिनों तक चलने वाली मैराथन दौड़ से भी करते हैं। इस एक प्रतियोगिता में साइकल सवार जितनी चढ़ाई चढ़ते हैं, उतनी में तीन बार एवरेस्ट चढ़ा जा सकता है।
पहली बार टूर डि फ्रांस रेस 1903 में आयोजित की गई थी। पहले सवार रात में भी साइकल चलाते थे, लेकिन दूसरे सीजन के बाद रात को राइडिंग बंद कर दी गई। क्योंकि उसमें कई सवार धोखा करते थे। 1960 में एक साइकल सवार की मौत के बाद इस स्पर्धा की दूरी को भी कम कर दिया गया और कुछ सालों के लिए स्पर्धा भी नहीं हुई। लेकिन इस साल 2012 में इसका 99वां आयोजन है और अगले साल हम 100वीं स्पर्धा देखेंगे।
इस बार यह स्पर्धा 30 जून से शुरू हो चुकी है और 22 जुलाई को पेरिस में खत्म होगी। इस बार कुल दूरी 3496.6 किमी रहेगी। पिछली बार इस रेस को ऑस्ट्रेलियाई रेसर केडेल ली इवांस ने जीता था। इस बार वे अपने खिताब को बचाने की जी-तोड़ कोशिश करेंगे।