नया तिरंगा 1947 में आया :- देश के आजाद होने के बाद संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 22 जुलाई 1947 में वर्तमान तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया।
जिसमें तीन रंग थे। ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंगा। सफेद रंग की पट्टी में नीले रंग से बना था अशोक चक्र जिसमें चौबीस तीलियां थीं जो धर्म और कानून का प्रतिनिधित्व करती थीं।
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का वही स्वरूप आज भी मौजूद है।
आगे पढ़े तिरंगे झंडे के नियम-कानून
झंडा खादी का बनेगा :- स्वराज झंडे पर आधारित तिरंगे झंडे के नियम-कानून फ्लैग कोड ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए। जिसमें निर्धारित था कि झंडे का प्रयोग केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही किया जाएगा।
इसके बाद 2002 में नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जिसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिए कि अन्य दिनों में भी झंडे का प्रयोग नियंत्रित रूप में हो सकता है। इसके बाद 2005 में जो सुधार हुआ, उसके अंतर्गत कुछ परिधानों में भी तिरंगे झंडे का प्रयोग किया जा सकता है।
आगे पढ़े भारतीय ध्वज संहिता का प्रावधान
केवल कागज का प्रयोग हो :- भारतीय ध्वज संहिता के प्रावधान के अनुरूप नागरिकों एवं बच्चों से शासन की अपील है कि वे स्वतंत्रता दिवस पर केवल कागज के बने राष्ट्रीय ध्वज का ही उपयोग करें।
साथ ही कागज के झंडों को समारोह संपन्न होने के बाद न विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप ही किया जाना चाहिए।
आमजन से आग्रह है कि वे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्लास्टिक से बने झंडों का उपयोग बिलकुल ही न करें, क्योंकि प्लास्टिक से बने झंडे लंबे समय तक नष्ट नहीं होते हैं और जैविक रूप से अपघट्य न होने के कारण ये वातावरण के लिए हानिकारक होते हैं।
साथ ही इधर-उधर पड़े रहने से राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को आघात पहुंचता है।