1 जनवरी को कमोबेश दुनिया में नया साल मनाया जाता है। जनवरी को नया साल शुरू होता है वहीं दिसंबर को यह खत्म होता है। 1 जनवरी को कैलेंडर बदल दिया जाता है। इस दिन का लोग हर्षोल्लास के साथ स्वागत करते हैं। लोगों में अलग ही उत्साह होता है तो कोई अपने आपको एक चैलेंज भी देते हैं, तो कोई सालभर के लिए किसी तरह के वादे करते हैं, तो कई लोग नए संकल्प, नए आयामों या नई मंजिलों की तलाश के लिए खुद को तैयार करते हैं। 31 दिसंबर की रात से ही इसका जश्न शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ लोगों के मन में सवाल उठते हैं कि नया वर्ष 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? तो आइए जानते हैं -
- 1 जनवरी को नया साल इतने जश्न के साथ मनाया जाता है कि ऐसा प्रतीत होता है कि नया साल आज ही के दिन है। लेकिन वास्तव में नया साल पहले 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता था। सभी अलग-अलग अपने अनुसार मनाते थे। किसी देश में 25 मार्च तो किसी देश में 25 दिसंबर को मनाया जाता था। इसकी कोई निर्धारित तारीख नहीं थी। लेकिन राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किए। और इस तरह समूची दुनिया में 1 जनवरी को नया साल (New Year) मनाने की शुरुआत हुई।
- जिस तरह से साल में अभी 12 महीने है पहले नहीं होते थे। जी हां पहले सिर्फ 10 महीने थे। जिसमें पूरा साल खत्म हो जाता है। लेकिन राजा नूमा पोंपिलस ने दो माह और जोड़ दिए। जनवरी और फरवरी।
- अब साल में 365 दिन ही क्यों होते हैं?
शुरुआत में साल में सिर्फ 355 दिन हुआ करते थे लेकिन फरवरी के बाद एक और महीने का जोड़ा गया जो मर्सिडियस महीना था। उसमें सिर्फ 8 सप्ताह थे। लेकिन वह पूर्ण नहीं लगता था। तभी 45 BC में रोम के शासक जूलियस सीजर ने कैलेंडर को मॉर्डन वर्जन दिया जिसके अनुसार सभी आज हमारे माह बीतते-बीतते साल बीत जाता है। दरअसल, सीजन ने खगोलविदों से जाना कि पृथ्वी 365 दिन और 6 घंटे में सूर्य की परिक्रमा करता है।
- गौरतलब है कि भारत में रोमन कैलेंडर के मुताबिक 1 जनवरी को न्यू ईयर मनाया जाता है। लेकिन भारत में जिस तरह से विविध-विविध धर्म है उस अनुसार अलग-अलग तरह से नया साल मनाया जाता है। जी हां, जैन धर्म में दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है, सिख धर्म में होली के दूसरे दिन, पंजाब में बैसाखी के दिन मनाया जाता है।