जनरल नॉलेज : भारतीय गैंडे के बारे में

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गैंडे की पांच प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से दो अफ्रीका में तथा तीन दक्षिण एशिया के देशों में मिलती है। एशियाई गैंडों में भारतीय गैंडा ही सबसे बड़ा और शानदार होता है। अब से कई सौ शताब्दी पूर्व योरपवासी भारतीय गैंडे से परिचित थे।

सन्‌ 1513 में भारतीय गैंडे का एक नमूना पुर्तगाल भेजा गया था। भारतीय गैंडे के शरीर पर बाल नहीं होते, बस कान और पूंछ पर ही बाल होते हैं। उसके नाखून हाथी जैसे होते हैं। गैंडे का रंग स्लेटी होता है और शरीर पर खाल ढालों की तह की तरह मढ़ी होती है।

सबसे विचित्र बात यह है कि गैंडे की थूथन के ऊपर एक या डेढ़ फुट ऊंचा सींग होता है, परंतु असल में वह सींग नहीं, हजारों मोटे और मजबूत बालों का गुच्छा होता है, जो ऊपर की ओर उठा होता है। गैंडे के लिए यह सबसे उपयोगी है। सींग अगर एक बार टूट जाए तो वह फिर बढ़ जाता है। शरीर के अनुपात में इसका सिर बड़ा होता है। कान बड़े होते हैं जिनके सिरों पर बाल होते हैं। नर और मादा दोनों में ही सींग होते हैं।

भारतीय गैंडों की औसत लंबाई 12 फुट और ऊंचाई 5-6 फुट तक होती है। मादा गैंडे का वजन 1500 किलो और नर गैंडे का वजन लगभग 2000 किलो तक होता है। भारत में गैंडे 1850 तक बंगाल और उत्तरप्रदेश के तराई इलाके में भी काफी संख्या में पाए जाते थे, परंतु अब केवल असम तक ही सिमटकर रह गए हैं।

इसे सामान्यतः लंबी घास के मैदानों में रहना पसंद है, लेकिन अगर आसपास दलदली इलाका हो तो सोने पे सुहागा, क्योंकि इसे कीचड़ स्नान बहुत पसंद है। यह पूरी तरह शाकाहारी प्राणी है। वैसे तो गैंडा एक शांत प्राणी है। वह घायल होने पर भी एकदम आक्रमण नहीं करता। सामान्यतः गैंडा धीमी चाल चलता है, परंतु वह सरपट दौड़ भी सकता है।

मादा एक बार में एक बच्चे को जन्म देती है। जन्म के समय गैंडे के बच्चे की थूथन पर सींग नहीं होता। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है, सींग भी बड़ा होता जाता है। भारतीय गैंडे की औसत आयु लगभग 100 साल की होती है।
गैंडे के बारे में एक विचित्र बात यह है कि यदि शिकारी उसे गोली मार दे तो वह और जानवरों की तरह टांगें फैलाकर नहीं पड़ा रहता वह सीधा बैठे-बैठे ही मर जाता है, मानो वह सो रहा हो। असल में गैंडे की खाल बड़ी कोमल होती है। गैंडे की दृष्टि अपेक्षाकृत कमजोर होती है, परंतु उसकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है। मनुष्य की गंध उसे बिलकुल भी पसंद नहीं है।

यों तो गैंडे को असम के सुरक्षित स्थानों पर संरक्षण प्राप्त है, पर फिर भी चोरी-छिपे लोग उसके सींग की खातिर उसका शिकार करते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि गैंडे को भारत के अन्य स्थानों में भी संरक्षण मिले और वहां उसकी संख्या में वृद्धि की जाए। उत्तरप्रदेश की तराई का कोई इलाका इस काम के लिए उपयुक्त रहेगा और उड़ीसा का क्षेत्र भी इसके लिए उपयुक्त है।

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