ग़ालिब का ख़त-1

Webdunia
मुंशी हरगोपाल तफ़्ता

महाराज,
आपका मेहरबानीनामा पहुँचा। दिल मेरा अगर्चे खुश न हुआ, लेकिन नाखुश भी न रहा। बहरहाल, मुझको कि नालायक़ व ज़लीलतरीन ख़लनायक़ हूँ, अपना दुआग़ो समझते रहो। क्या करूँ? अपना शेवा तर्क नहीं किया जाता। वह रविश हिंदुस्तानी फ़ारसी लिखने वालों की मुझको नहीं आती कि बिल्कुल भाटों की तरह बकना शुरू करें। मेरे क़सीदे देखो, तशबीब के शेर बहत पाओगे, और मदह के शेर कमतर। नस्र में भी यही हाल है।

Aziz AnsariWD
नवाब मुस्तफ़ा ख़ाँ के तज़करे की तक़रीज़ को मुलाहिज़ा करो कि उनकी मदह कितनी है। मिर्जा रहीमुद्दीन बहादुर हया तख़ल्लुस के दीवान के दीबाचा को देखो। वह जो तक़रीज़ 'दीवान-ए-हाफिज़' की बमूजिब फ़रमाइश जान जाकोब बहादुर के लिखी है, उसके देखो कि फ़क़त एक बैत में उनका नाम और उनकी मदह आई है और बाक़ी सारी नस्र में कुछ और ही मतालिब हैं।

वल्लाह बिल्लाह, अगर किसी शहज़ादे या अमीरज़ादे के दीवान का दीबाचा लिखता, तो उसकी इतनी मदह न करता जितनी तुम्हारी मदह की है। हमको और हमारी रविश अगर पहचानते, तो इतनी मदह को बहुत जानते। किस्सा मुख्तसर तुम्हारी ख़ातिर की और एक फि़क़रा तुम्हारे नाम का बदलकर उसके इवज़ एक ‍फ़िक़रा और लिख दिया है।

इससे ज्यादा भई, मेरी रविश नहीं। ज़ाहिरा तुम खुद फिक्र नहीं करते, और हज़रात के बहकाने में आ जाते हो। वह साहिब तो बेशतर इस नज्म व नस्र को मोहमल कहेंगे। किस वास्ते कि ‍उनके कान इस आवाज़ से आशना नहीं। जो लोग कि क़तील को अच्छे लिखने वालों में जानेंगे, वह नज्म व नस्र की खूबी को क्या पहचानेंगे?

  जो ग़िज़ा खाया करते हैं, खाया करें। पानी दिन-रात, जब प्यास लगे, यही पिएँ। तबरीद की हाजत पड़े, इसी पानी में पिएँ। रोज जोश करवाकर, छनवाकर रख छोड़ें। बरस दिन में इसका फ़ायदा मालूम होगा। मेरा सलाम कहकर यह नुस्ख़ा अर्ज कर देना। आगे उनको इख्तियार है।      
हमारे शफ़ीक़ मुंशी नबी बख्श साहिब को क्या आरिज़ा है कि जिसको तुम लिखते हो, माअ़जनब से भी न गया। एक नुस्ख़ा 'तिब़-ए-मुहम्मद हुस्सैन ख़ानी' में लिखा है और वह बहुत बेज़रर और बहुत सूदमंद है, मगर असर उसका देर में ज़ाहिर होता है। वह नुस्खा यह है कि पान सात सेर पानी ल ेवें और उसमें सेर पीछे तोला-भर चोब चीनी कूटकर मिला दें।

और उसको जोश करें, इस कद्र कि चहारम पानी जल जावे। फिर उस बाक़ी पानी को छानकर कोरी ठलिया में भर रखें। और जब बासी हो जावे, उसको पिएँ।

जो ग़िज़ा खाया करते हैं, खाया करें। पानी दिन-रात, जब प्यास लगे, यही पिएँ। तबरीद की हाजत पड़े, इसी पानी में पिएँ। रोज जोश करवाकर, छनवाकर रख छोड़ें। बरस दिन में इसका फ़ायदा मालूम होगा। मेरा सलाम कहकर यह नुस्ख़ा अर्ज कर देना। आगे उनको इख्तियार है।
अगस्त सन् 1849 ई.

Show comments

घर के मुख्य द्वार पर गणेश प्रतिमा रखते समय न करें ये 8 गलतियां

संकट हरते, सुख बरसाते, गणपति सबके काम बनाते: बप्पा का स्वागत करिए उमंग के रंगों से भरे इन संदेशों के साथ

Ganesh Chaturthi 2025: गणपति बप्पा के भक्तों के लिए 20 सुंदर गणेश शायरी

Ganesh Chaturthi 2025: क्यों हर भक्त कहता है गणपति बाप्पा मोरया? जानिए 'मोरया' शब्द का रहस्य और अर्थ

बेटे को दीजिए श्री गणेश से प्रभावित ये दिव्य नाम, जिनमें छिपा है बप्पा का आशीर्वाद

Women after 40: हड्डियों से लेकर हार्मोन तक, 40 की उम्र के बाद महिलाओं को चाहिए ये 5 सप्लीमेंट्स

ganesh chaturthi 2025: बाप्पा को लगाएं इन 5 पारंपरिक मिठाइयों का भोग, बेसन के लड्डू, पूरन पोली, और श्रीखंड, जानिए रेसिपी

गर्लफ्रेंड के लंबे लवलेटर के बदले लगाने पड़े 500 पुशअप्स, आर्मी कैप्टन ने शेयर किया यादगार किस्सा

Micchami Dukkadam 2025: संवत्सरी महापर्व पर क्यों कहतें हैं मिच्छामि दुक्कड़म्, जानें खास जानकारी

गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक बनाएं बप्पा का पसंदीदा नैवेद्य, लड्‍डू, मोदक सहित अन्य प्रसाद