रजनीकांत : फर्श से अर्श तक का सफर

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दक्षिण भारतीय सिनेमा की शान और एक्शन फिल्मों का सुपर-स्टार माने जाने वाले रजनीकांत करोड़ों दिलों की धड़कन हैं। दक्षिण भारत में उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है। रजनीकांत एक मिसाल हैं कि कैसे कोई सामान्य सी शक्ल सूरत का इंसान अपनी अनोखी स्टाइल और प्रतिभा के दम पर पूरे विश्व को अपना दीवाना बना सकता है।

रजनी ने एक बहुत ही सामान्य आदमी से बेहद सफल सितारा बनने का सफर तय किया है। उनकी सफलता की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा है।

तमिल सिनेमा के इस सुपरस्टार का जन्म 12 दिसंबर 1949 को कर्नाटक के एक गरीब मराठी परिवार में हुआ। शिवाजी राव गायकवाड़ नाम के इस सामान्य से बस कंडक्टर से मेगाहिट 'शिवाजी द बॉस' के नायक रजनीकांत का सफर बहुत मुश्किलों से भरा था। घर के पास बने राम मंदिर के सामने स्टंट दिखाने वाले रजनी सिगरेट उछालने और चश्मा पहनने की अलग स्टाइल के लिए मशहूर हो गए, जो उनकी फिल्मों का ट्रेडमार्क बन गया।

अपने शुरुआती दिनों में गरीबी के कारण पढाई छोड़ बस कंडक्टर बने रजनी आज एशिया में जैकी चेन के बाद सबसे महंगे स्टार हैं। अपनी फिल्म 'एंधिरन' (रोबोट) के लिए 45 करोड़ का मेहनताना लिया और एक फिल्म के लिए अधिकतम राशि पाने का रिकॉर्ड बनाया।

अभिनेता के रूप में रजनी की पहली कन्नड़ फिल्म 'कथा संगम' 1975 में आई। लेकिन रजनीकांत को पहचान बालाचंदर की फिल्म 'अपूर्व रागांगल' नाम की तमिल फिल्म ने दिलावाई। इस फिल्म में डायलॉग डिलेवरी और पंच डायलॉग ने रजनीकांत को अलग पहचान दी।

तमिल सिनेमा में सुपरस्टार के रूप में स्थापित हो जाने के बाद रजनीकांत की कई फिल्म 'मेगा हिट' साबित हुईं। उनकी ब्लाकबस्टर फिल्मों की फेहरिस्त में थालापथी(1991), अन्नामलाई(1992), इजामन(1993), मुथू(1995), बाशा(1995), अरुनांचलम(1997), पडियप्पा(1999), चंद्रामुखी(2005), शिवाजी - द बॉस(2007),कुशेलन(2008) और एंधिरन (2010) शामिल हैं।

रजनीकांत ने न केवल दक्षिण भारतीय सिनेमा में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उत्तर भारत की चर्चित फिल्में अंधा कानून (1983), गिरफ्तार (1985), उत्तर दक्षिण(1987), चालबाज (1989), हम(1991) से बॉलीवुड में भी अपनी छाप छोड़ी।

इतनी सफलता पाकर भी रजनी जमीन से जुड़े हुए हैं। वे आम आदमी के हीरो हैं और इसीलिए उन्हें जनता का प्यार मिलता है। रजनी ने गरीबी देखी है और इसीलिए वे हर जरूरतमंद की मदद में जरा भी देर नहीं करते।

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