अजिंक्य रहाणे का जन्म 5 जून 1988 को महाराष्ट्र के नल्लासोपरा में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरुआत से ही रहाणे ने अपने बल्लेबाजी कौशल से सभी का ध्यान खींचा। रणजी में रहाणे मुंबई की टीम की ओर से खेलते है। मुंबई को 38वीं बार रणजी ट्रॉफी दिलाने में अंजिक्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रहाणे उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंन े रणजी के एक सीजन में 1000 से ज्यादा रन बनाए हैं।
वे आईपीएल के पांचवें सीजन में रॉयल चैलेंजर्स बंगलोर के खिलाफ नाबाद 103 रनों की धुआंधार पारी से आईपीएल-5 में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बने। इसी पारी में उन्होंने रॉयल चैलेजर्स के गेंदबाज अरविंद श्रीनाथ के एक ओवर की सभी छह गेंदों पर छह चौके भी लगाए। यह भी एक रिकॉर्ड है।
गली क्रिकेट से शुरुआत करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेरने वाले रहाणे ने बताया कि आखिर कैसे उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई। राजस्थान रॉयल्स के इस सलामी बल्लेबाज ने कहा, 'मैं अपने घर के बाहर गली में वैसे ही क्रिकेट खेलता था, जैसे सब खेलते हैं। मेरे पापा के पास काफी शिकायतें भी आती थीं। एक दिन मेरे पड़ोसी ने पापा से कहा कि आप इसे किसी क्रिकेट कोचिंग सेंटर में क्यों नहीं डाल देते क्योंकि मुझे इसकी तकनीक अच्छी लग रही है। तब पापा ने ये सोचकर मुझे कोचिंग में डाल दिया कि चलो इसकी थोड़ी एक्सरसाइज भी हो जाया करेगी और इसकी शिकायतें आनी भी बंद हो जाएंगी, लेकिन फिर धीरे धीरे मैं अच्छा खेलने लगा। ट्रायल गेम्स में मेरा प्रदर्शन बढ़िया रहने लगा तो फिर मेरे घर पर भी गंभीरतापूर्वक क्रिकेट को मेरा करियर बनाने के बारे में सोचा जाने लगा।'
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर और मिस्टर रियालबल राहुल द्रविड़ को अपना रोल मॉडल मानने वाले रहाणे का कहना है कि जीवन का पाठ उन्होंने अपने पापा से सीखा। रहाणे अपने रोल मॉडल के बारे में कहते हैं, 'क्रिकेट में सचिन तेंडुलकर और राहुल द्रविड़ और व्यक्तिगत जीवन में मेरे पापा। उन्होंने मेरी खातिर काफी कुछ त्याग किया। उन्होंने मुझे हर परिस्थिति में विनम्र रहना सिखाया और कहा कि चाहे कितने बड़े खिलाड़ी क्यों ना हो जाओ इंसानियत के मूलभूत गुण कभी मत छोड़ना।'
रहाणे आज भले ही टी-20 क्रिकेट में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हों, लेकिन यहां तक के सफर के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष भी किया है। अपनी संघर्ष गाथा बताते हुए वे कहते हैं, मैं एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आया हूं। क्रिकेट किट खरीदने में काफी परेशानी होती थी, लेकिन मेरे मां-बाप ने घर के दूसरे खर्चों में कटौती करके मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया। मेरे एक सर थे, जिनका नाम अरविंद कदम था। बाद में उन्होंने मुझे बैट और ग्लव्स दिलवाए।'