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गुड फ्राइडे 2025: क्या है यीशु मसीह के बलिदान की कहानी और युवाओं के जीवन में इस दिन का महत्व

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WD Feature Desk

, शनिवार, 12 अप्रैल 2025 (18:36 IST)
Good friday essay in hindi: हर साल मार्च या अप्रैल में जब ईसाई समुदाय गुड फ्राइडे मनाता है, तो बहुत से लोग इसे एक और छुट्टी या त्योहार समझ लेते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि गुड फ्राइडे कोई उत्सव नहीं, बल्कि एक गहरी श्रद्धा और आत्मचिंतन का दिन है। यह दिन उस महान आत्मा को समर्पित है जिसने मानवता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया – ईसा मसीह (Jesus Christ)।
 
गुड फ्राइडे 2025 में 18 अप्रैल को मनाया जाएगा और यह दिन ईसाई धर्म में विशेष महत्व रखता है क्योंकि यही वह दिन था जब यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। हालांकि इसे ‘गुड’ यानी 'अच्छा' कहा जाता है, लेकिन इसका महत्व दुख, करुणा और बलिदान में छिपा हुआ है। यह दिन न केवल ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि हर इंसान के लिए एक सीख है कि प्रेम, क्षमा और मानवता के लिए क्या कुछ कुर्बान किया जा सकता है।
 
गुड फ्राइडे का इतिहास: ईसा मसीह, जिन्हें लोग ईश्वर का पुत्र मानते हैं, एक ऐसे युग में पैदा हुए जब समाज में पाखंड, अन्याय और अंधविश्वास व्याप्त था। उन्होंने लोगों को सत्य, दया, क्षमा और प्रेम का संदेश दिया। लेकिन उनकी लोकप्रियता और विचारों से उस समय के शासक और धार्मिक नेता डरने लगे। उन्हें लगा कि यीशु उनकी सत्ता और वर्चस्व के लिए खतरा बन सकते हैं।
 
इसी डर और षड्यंत्र के चलते यीशु मसीह को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया और फिर बिना दोष सिद्ध हुए उन्हें क्रूस पर चढ़ाने का आदेश दिया गया। उनकी मृत्यु के पहले उन्होंने जिस शांत भाव से सब कुछ सहा, वह आज भी लोगों को प्रेरित करता है।
 
गुड फ्राइडे का महत्व: अब आप सोच रहे होंगे कि जब यह दिन इतना दुखद है, तो इसे ‘गुड फ्राइडे’ क्यों कहा जाता है? दरअसल, इस दिन को ‘गुड’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यीशु के बलिदान के कारण ही मानवता को पापों से मुक्ति मिली। उन्होंने अपने अनुयायियों को यह सिखाया कि सच्चे प्रेम और विश्वास से हर अंधकार दूर हो सकता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कभी-कभी सच्चाई और अच्छाई की राह पर चलने के लिए बहुत बड़ा मूल्य चुकाना पड़ता है, लेकिन अंत में वही राह दुनिया को रोशनी देती है।
 
गुड फ्राइडे कैसे मनाया जाता है?
गुड फ्राइडे पर चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं। ईसाई अनुयायी इस दिन को व्रत, संयम और प्रायश्चित के रूप में मनाते हैं। चर्चों में क्रूस को सजाया जाता है और यीशु की अंतिम यात्रा को स्मरण करते हुए एक शांतिपूर्ण माहौल बनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन दिनभर उपवास रखते हैं, तो कुछ लोग केवल हल्का भोजन करते हैं। इस दिन चर्च में "सात वचन" (Seven Last Words of Jesus) का पाठ किया जाता है जो उन्होंने क्रूस पर चढ़ते समय बोले थे। भारत में भी गोवा, केरल, मुंबई, नॉर्थ ईस्ट और अन्य जगहों पर गुड फ्राइडे बड़े श्रद्धा और शांतिपूर्ण माहौल में मनाया जाता है। 

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