रूप की इस काँपती लौ के तल े यह हमारा प्यार कितने दिन चलेगा ?
नील-सर में नींद की नीली लह र, खोजती है भोर का तट रात भ र, किन्तु आता प्रात जब गाती ऊष ा, बूँद बन कर हर लहर जाती बिख र, प्राप्ति ही जब मृत्यु है अस्तित्व क ी, यह हृदय-व्यापार कितने दिन चलेगा ?
रूप की इस काँपती लौ के तल े यह हमारा प्यार कितने दिन चलेगा ?
‘ता ज’ यमुना से सदा कहता अभय- ‘काल पर मैं प्रेम-यौवन की विज य’ बोलती यमुना-‘अरे तू क्षुद्र क्या- एक मेरी बूँद में डूबा प्रण य’ जी रही जब एक जल-कण पर तृष ा, तृप्ति का आधार कितने दिन चलेगा ?
रूप की इस काँपती लौ के तल े यह हमारा प्यार कितने दिन चलेगा ?
स्वर्ग को भू की चुनौती सा अम र, है खड़ा जो वह हिमालय का शिख र, एक दिन हो भूविलुंठित गल-पिघ ल, जल उठेगा बन मरुस्थल अग्नि-स र, थिर न जब सत्ता पहाड़ों की यहा ँ, अश्रु का श्रृंगार कितने दिन चलेगा ?
रूप की इस काँपती लौ के तल े यह हमारा प्यार कितने दिन चलेगा ?
गूँजते थे फूल के स्वर कल जहा ँ, तैरते थे रूप के बादल जहा ँ, अब गरजती रात सुरसा-सी खड़ ी, घन-प्रभंजन की अनल-हलचल वहा ँ, काल की जिस बाढ़ में डूबी प्रकृत ि, श्वांस का पतवार कितने दिन चलेगा ?
रूप की इस काँपती लौ के तल े यह हमारा प्यार कितने दिन चलेगा ?
विश्व भर में जो सुबह लाती किर ण, साँझ देती है वही तम को शर ण, ज्योति सत् य, असत्य तम फिर भी सद ा, है किया करता दिवस निशि को वर ण, सत्य भी जब थिर नहीं निज रूप मे ं, स्वप्न का संसार कितने दिन चलेगा ?
रूप की इस काँपती लौ के तल े यह हमारा प्यार कितने दिन चलेगा ?