यह नफरत की बारूद न बिखराओ साथी ! यह युद्धों का जहरीला नारा बंद कर ो, जो प्यार तिजोरी-सेफों में है तड़प रह ा उसके बंधन खोल ो, उसको स्वछंद करो!
मृत मानवता जिंदगी माँगती है तुमस े दो बूँद स्नेह की उसके प्राणों में ढाल ो, आदम का जो यह स्वर्ग हो रहा मरघ ट जाओ ममता का एक दिया उसमें बोलो !
निर्माण घृणा से नही ं, प्यार से होता ह ै, सुख-शांति खड्ग पर नहीं फूल पर चलते है ं, आदमी देह से नही ं, नेह से जीता ह ै, बमों से नही ं, बोल से वज्र पिघलते हैं ।
तुम डरो न, आगे आओ निज भुज फैला ओ है प्यार जहा ँ, तलवार वहाँ झुक जाती ह ै, पतवार प्रेम की छू जाए जिस कश्ती क ो मझधा र, पार उसको खुद पहुँचा आती है।
जिसके अधरों पर गीत प्रेम का जीवित ह ै वह हँसकर तूफानों को गोद दिखलाता ह ै, जिसके सीने में दर्द छुपा है दुनिया क ा सैलाबों से बढ़कर वह हाथ मिलाता है ।
कितना ही क्यों न बड़ा हो घाव हृदय मे ं, पर सच कहता हूँ यह प्यार उसे भर सकता ह ै कैसा ही बागी-दुश्मन हो आदमी मग र बस एक अश्रु का तार कैद कर सकता है ।
कितना ही ऊबड़-खाबड़ हो रास्ता किंत ु वह प्यार फूल-सा तुम्हें उठा ले जाएग ा, कैसी ही भीषण अंधियारी हो धुआँ-धुंध पर एक स्नेह का दीप सुबह ले आएगा ।
मैं इसीलिए अक्सर लोगों से कहता हू ँ, जिस जगह बटे नफर त, जा प्यार लुटाओ तु म जो चोट करे तुम पर उसके चूम लो हा थ जो गाली दे उसके आशीष पिन्हाओ तुम ।
तुम शांति नहीं ला पाए युद्धों के द्वार ा अब फेंक जरा तलवा र, प्यार लेकर देख ो, सच मानो निश्चय विजय तुम्हारी ही होग ी दुश्मन को अपना हृदय जरा देकर देखो।