धनियों के तो धन हैं लाखों

Webdunia
ND
धनियों के तो धन हैं लाखों
मुझ निर्धन के धन बस तुम हो।
कोई पहने माणिक-माला
कोई लाल जड़ावे,
कोई रचे महावर-मेहँदी
मुतियन मांग भरावे,
सोने वाले, चांदी वाले,
पानी वाले, पत्थर वाले
तन के तो लाखों सिंगार हैं।
मन के आभूषण बस तुम हो।

धनियों के तो धन हैं लाखों
मुझ निर्धन के धन बस तुम हो।
कोई जावे पुरी द्वारिका
कोई धावे काशी
कोई तपे त्रिवेणी-संगम
कोई मथुरा वासी,
उत्तर दक्खिन पूरब पच्छिम,
भीतर-बाहर सब जग-जाहिर
संतों के सौ-सौ तीरथ हैं
मेरे वृन्दावन बस तुम हो।

धनियों के तो धन हैं लाखों
मुझ निर्धन के धन बस तुम हो।
कोई करे गुमान रूप पर
कोई बल पर झूमे,
कोई मारे डींग ज्ञान की
कोई धन पर घूमे,
काया-माया, जोरू-जाता,
जस-अपजस, सुख-दुख त्रियतापा,
जीता-मरता जग सौ विधि से
मेरे जन्म-मरण बस तुम हो!

धनियों के तो धन हैं लाखों
मुझ निर्धन के धन बस तुम हो।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पंजीरी भोग क्या है, क्यों है भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय

स्वतंत्रता दिवस का इतिहास, महत्व और आज की पीढ़ी की भूमिका

भारत के साथ ये 5 देश भी 15 अगस्त को मनाते हैं आजादी का जश्न, जानिए नाम

स्वतंत्रता दिवस पर बनाएं ये 5 बेहतरीन तिरंगे व्यंजन

जन्माष्टमी पर अपनाएं श्री कृष्ण नीति के ये 5 गुण, सफलता चूमेगी आपके कदम

सभी देखें

नवीनतम

हर घर तिरंगा.. हर मन तिरंगा...

पहाड़ों पर क्यों ज्यादा होती हैं बादल फटने घटनाएं, जानिए क्या होता है बादल फटना

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं: लहराएगा तिरंगा अब सारे आसमान पर, 15 अगस्त पर भेजें ये खास मैसेज

स्वतंत्रता दिवस: गौरव, बलिदान, हमारी जिम्मेदारी और स्वर्णिम भविष्य की ओर भारत

श्रीकृष्ण का प्रिय और जन्माष्टमी विशेष माखन-मिश्री का भोग कैसे बनाएं, नोट करें रेसिपी