विश्व चाहे या न चाह े, लोग समझें या न समझे ं, आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे ।
हर नजर गमगीन ह ै, हर होंठ ने धुनी रमा ई, हर गली वीरान जैसे हो कि बेवा की कला ई, खुदकुशी कर मर रही है रोशनी तब आँगनों मे ं कर रहा है आदमी जब चाँद-तारों पर चढ़ा ई, फिर दीयों का दम न टूट े, फिर किरन को तम न लूट े, हम जले हैं तो धरा को जगमगाकर ही उठेंगे । विश्व चाहे या न चाह े, लोग समझें या न समझे ं, आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे ।
हम नहीं उनमें हवा के साथ जिनका साज बदल े, साज ही केवल नहीं अंदाज औ आवाज बदल े, उन फकीरों-सिरफिरों के हमसफर ह म, हमउमर ह म, जो बादल जाएँ अगर तो तख्त बदले ताज बदल े, तुम सभी कुछ काम कर ल ो, हर तरह बदनाम कर ल ो, हम कहानी प्यार की पूरी सुनाकर ही उठेंगे । विश्व चाहे या न चाह े, लोग समझें या न समझे ं, आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे ।
नाम जिसका आँक गोरी हो गई मैली स्याह ी, दे रहा है चाँद जिसके रूप की रोकर गवाह ी, थाम जिसका हाथ चलना सीखती आँधी धरा प र है खड़ा इतिहास जिसके द्वार पर बनकर सिपाह ी, आदमी वह फिर न टूट े, वक्त फिर उसको न लूट े, जिंदगी की हम नई सूरत बनाकर ही उठेंगे । विश्व चाहे या न चाह े, लोग समझें या न समझे ं, आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे ।
हम न अपने आप ही आए दु:खों के इस नगर मे ं, था मिला तेरा निमंत्रण ही हमें आधे सफर मे ं, किंतु फिर भी लौट जाते हम बिना गाए यहाँ से जो सभी को तू बराबर तौलता अपनी नजर मे ं, अब भले कुछ भी कहे त ू, खुश कि या नाखुश रहे त ू, गाँव भर को हम सही हालत बताकर ही उठेंग े विश्व चाहे या न चाह े, लोग समझें या न समझे ं, आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे ।
इस सभा की साजिशों से तंग आक र, चोट खाक र गीत गाए ही बिना जो हैं गए वापिस मुसाफि र और वे जो हाथ में मिजराब पहने मुश्किलों की दे रहे हैं जिंदगी के साज को सबसे नया स्व र मौर तुम लाओ न ला ओ, नेग तुम पाओ न पा ओ, हम उन्हें इस दौर का दूल्हा बनाकर ही उठेंगे । विश्व चाहे या न चाह े, लोग समझें या न समझे ं, आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे।