खग उड़ते रहना जीवन भर

Webdunia
- - नीर ज

WD
खग उड़ते रहना जीवन भर !
भूल गया है तू अपना प थ,
और नहीं पंखो में गत ि,
किंतु लौटना पीछे पथ पर अर े, मौत से भी बदतर।

खग! उड़ते रहना जीवन भर!
मत डर प्रलय झकोरों से त ू,
बढ़ आशा हलकोरों से त ू,
छ्न में यह अरि-दल मिट जाएगा तेरे पंखो से पिस कर ।

खग ! उड़ते रहना जीवन भर !
यदि तू लौट पड़ेगा थक क र,
अंधड़ काल बवंडर से ड र,
प्यार तुझे करने वाले ही देखेंगे तुझको हँस हँस क र,
खग ! उड़ते रहना जीवन भर !

और मिट गया चलते चलत े,
मंजिल पथ तय करते करत े,
तेरी ख़ाक चढ़ाएगा जग उन्नत भाल और आँखों पर ।
खग ! उड़ते रहना जीवन भर !

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