यह जो रात चुरा बैठी है चांद सितारों की तरुणा ई, बस तब तक कर ले मनमानी जब तक कोई किरन न आ ई, खुलते ही पलकें फूलों क ी, बजते ही भ्रमरों की वँश ी छिन्न-भिन्न होगी यह स्याही जैसे तेज धार से का ई, तम के पाँव नहीं होत े, वह चलता थाम ज्योति का अँच ल मेरे प्यार निराश न ह ो, फिर फूल खिलेग ा, सूर्य मिलेगा ! मेरे देश उदास न ह ो, फिर दीप जलेग ा, तिमिर ढलेगा !
सिर्फ भूमिका है बहार की यह आँधी-पतझारों वाल ी, किसी सुबह की ही मंजिल है रजनी बुझे सितारों वाल ी, उजड़े घर ये सूने आंग न, रोते नय न, सिसकते साव न, केवल वे हैं बीज कि जिनसे उगनी है गेहूँ की बाल ी, मूक शान्ति खुद एक क्रान्ति ह ै, मूक दृष्टि खुद एक सृष्टि ह ै मेरे सृजन हताश न ह ो, फिर दनुज थकेग ा, मनुज चलेगा ! मेरे देश उदास न ह ो, फिर दीप जलेग ा, तिमिर ढलेगा !
व्यर्थ नहीं यह मिट्टी का त प, व्यर्थ नहीं बलिदान हमार ा, व्यर्थ नहीं ये गीले आंच ल, व्यर्थ नहीं यह आँसू धार ा, है मेरा विश्वास अट ल, तुम हाँड़ हटा द ो, पाल गिरा द ो, बीच समुन्दर एक दिवस मिलने आएगा स्वयं किनार ा, मन की गति पग-गति बन जाए तो फिर मंजिल कौन कठिन है ? मेरे लक्ष्य निराश न ह ो, फिर जग बदलेग ा, मग बदलेगा ! मेरे देश उदास न ह ो, फिर दीप जलेग ा, तिमिर ढलेगा !
जीवन क्य ा?- तम भरे नगर में किसी रोशनी की पुकार ह ै, ध्वनि जिसकी इस पार और प्रतिध्वनि जिसकी दूसरे पार ह ै, सौ-सौ बार मरण ने सीकर होंठ इसे चाहा चुप करन ा, पर देखा हर बार बजाती यह बैठी कोई सितार ह ै, स्वर मिटता है नही ं, सिर्फ उसकी आवाज बदल जाती है । मेरे गीत उदास न ह ो, हर तार बजेग ा, कंठ खुलेगा ! मेरे देश उदास न ह ो, फिर दीप जलेग ा, तिमिर ढलेगा !