नींद भी मेरे नयन

Webdunia
- नीर ज

ND
प्राण ! पहले तो हृदय तुमने चुराय ा
छीन ली अब नींद भी मेरे नयन क ी

बीत जाती रात हो जाता सबेर ा,
पर नयन-पक्षी नहीं लेते बसेर ा,
बन्द पंखों में किए आकाश-धरत ी
खोजते फिरते अँधेरे का उजेर ा,
पंख थकत े, प्राण थकत े, रात थकत ी
खोजने की चाह पर थकती न मन की ।

छीन ली अब नींद भी मेरे नयन की ।

स्वप्न सोते स्वर्ग तक अंचल पसार े,
डाल कर गल-बाँह भ ू, नभ के किनार े
किस तरह सोऊँ मगर मैं पास आक र
बैठ जाते हैं उतर नभ से सितार े,
और हैं मुझको सुनाते वह कहान ी,
है लगा देती झड़ी जो अश्रु-घन की ।

सिर्फ क्षण भर तुम बने मेहमान घर मे ं,
पर सदा को बस गए बन याद उर मे ं,
रूप का जादू किया वह डाल मुझ प र
आज मैं अनजान अपने ही नगर मे ं,
किन्तु फिर भी मन तुम्हें ही प्यार करत ा
क्या करूँ आदत पड़ी है बालपन की ।

छीन ली अब नींद भी मेरे नयन की ।

पर न अब मुझको रुलाओ और ज़्याद ा,
पर न अब मुझको मिटाओ और ज़्याद ा,
हूँ बहुत मैं सह चुका उपहास जग क ा
अब न मुझ पर मुस्कराओ और ज़्याद ा,
धैर्य का भी तो कहीं पर अन्त है प्रिय !
और सीमा भी कहीं पर है सहन की।

Show comments

76वां गणतंत्र दिवस : कर्तव्य पथ की परेड से लेकर बीटिंग रिट्रीट तक, जानिए भारतीय गणतंत्र की 26 अनोखी बातें

Republic Day Parade 2025: वंदे मातरम् और जन गण मन में क्या है अंतर?

तन पर एक भी कपड़ा नहीं पहनती हैं ये महिला नागा साधु, जानिए कहां रहती हैं

Republic Day 2025 : गणतंत्र दिवस के निबंध में लिखें लोकतंत्र के इस महापर्व के असली मायने

76th Republic Day : गणतंत्र दिवस पर 10 लाइन में निबंध

अहिल्या पथ के अनुगामी प्रदेश के मोहन

भागवत के वक्तव्य पर विवाद जो कहा नहीं

इन रेसिपीज से बनाएं गणतंत्र दिवस को यादगार, अभी नोट करें 5 खास डिशेज

आज का नया चुटकुला : गणतंत्र दिवस का मतलब क्या होता है?

26 जनवरी पर स्कूल में कैसे और क्या करें प्रस्तुति