13 अप्रैल 2021 से हिन्दू कैलेंडे के अनुसार नववर्ष प्रारंभ होगा। इस नववर्ष को चैत्र प्रतिपदा, युगादि, गुड़ी पड़वा और नवसंवत्सर कहते हैं। ईसा पूर्व 58 में राजा विक्रमादित्य ने यह नववर्ष प्रारंभ किया था। इस हिन्दू नववर्ष में लें 5 संकल्प।
1. सेहत के लिए लें संकल्प:- उत्तम और सात्विक भोजन से ही सेहत की सुरक्षा बनी रहती है। तामसिक और राजसी भोजन से शरीर में रोग बढ़ते हैं। अत: उत्तम भोज लें और साथ ही सप्ताह में एक बार उपवास करें। उपवास से जहां हमारा शरीर शुद्ध होता है वहीं उत्तम भोजन से शरीर को आवश्यकत तत्व मिलते रहते हैं
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2. प्रार्थना या ध्यान करें : प्रतिदिन नियम से संध्यावंदन के अंतर्गत प्रार्थना, पूजा, पाठ या ध्यान करें। इससे मन में जहां सकारात्मक भाव विकसित होते हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन के संघर्ष में साहस बढ़ता है वहीं यह शरीर को भी निर्मल बनाए रखने की क्षमता रखता है।
3. बुरी आदते झोड़ने का संकल्प लें:- यदि आप में झूठ बोलने, शराब पीने, ब्याज का धंधा, तंबाकू खाने, पराई स्त्री के साथ संबंध आदि की आदते हैं तो इस वर्ष अपनी बुरी आदते छोड़ने का संकल्प लें। उत्त आदतें जीवन विरोधी आदते हैं।
इन नियमों के पालन करने का लें संकल्प :- जैसे, सलीके से कपड़े पहनें, कान और नाक को छिदवाएं, नाक को हमेशा साफ रखें, दांतों को साफ रखें, कीकर से कभी कभी दातुन करें, संयुक्त परिवार में रहना, ससुराल से बैर न रखना रखना, कन्या, बहन और बेटी को प्रसन्न रखना और उन्हें मीठी चीजें देना, माता, भाभी और मौसी की सेवा करें। विधवा की सहायता करें, पत्नी की देखभाल करें, मेहतर को रुपए दें, नि:संतान से रुपए नहीं लें, छत में छेद न करें, कुत्ते को न सताएं, कुत्ते को रोटी दें, दक्षिणामुखी मकान में न रहें, घर में कच्ची जगह रखें, अपंगों और अंधों को भोजन खिलाएं, चिड़ियों, मुर्गियों और पक्षियों को दाना डालें, बंदरों को गुड़ खिलाएं, गाय को रोटी खिलाएं, मंदिर में झाडू लगाएं, हनुमान चालीसा पढ़ें आदि कई नियम हैं जिनका पालन करने से व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है और उसे दैवीय सहायता मिलती है।
5. संकल्प प्रणायाम और योग करें : प्रतिदिन प्रणायाम और योग करने से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। आप रोज सुबह और शाम को मात्र सूर्य नमस्कार की ही 12 स्टेप को 12 बार करें। यदि इसे आप अपने जीवन का हिस्सा बना लेंगे तो चमत्कारिक रूप से फायदा होगा, लेकिन यदि आप इसे नियमित नहीं करते हैं तो फिर इसका कोई लाभ नहीं। अभ्यास से ही सबकुछ बदलता है।
6. परिवार के सदस्यों से करें प्रेम : अपने परिवार के सभी सदस्यों से प्रेम करें, उन्हें सम्मान दें और अपना क्वालिटी टाइम उनके साथ बितएं, क्योंकि वे आपके लिए हैं और आप उनके लिए हो। आपको अपने माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी, भांजा-भांजी, भतीजा-भतीजी, काका-काकी, मामा-मामी, नाना-नानी, दादा-दादी और पति या पत्नी को महत्व देना चाहिए।
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