हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा की 5 रोचक बातें जो इसे बनाती है सबसे अलग

WD Feature Desk
शुक्रवार, 28 मार्च 2025 (17:00 IST)
हिंदू नववर्ष को मूल रूप से नव संवत्सर कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक वर्ष 60 में से एक संवत्सर प्रारंभ होता है। यह नव संवत्सर हिंदू कैलेंडर के प्रथम माह चैत्र माह की प्रतिपदा यानी पहली तिथि से प्रारंभ होता है। मराठी भाषी इस नव संवत्सर को गुड़ी पड़वा के नाम से, दक्षिण भारत में युगादि या उगादि के नाम से यह पर्व मनाते हैं। हालांकि इस नववर्ष की 5 ऐसी रोचक बातें हैं जो इसे सभी नववर्ष से अलग करती हैं। ALSO READ: हिंदू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं?
 
1. प्रकृति फिर से नई होने लगती है: इस नववर्ष से मौसम में बदलाव होता है। ठंड का मौसम समाप्त होकर गर्मी का मौसम प्रारंभ होता है। इसी के प्रारंभ में पतझड़ के बाद बसंत की बहार आती है। यह त्योहार वसंत ऋतु की शुरुआत और नए साल का प्रतीक है। यह मौसम परिवर्तन और प्रकृति में नव जीवन की शुरुआत का प्रतीक भी है। इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है।
 
2. सूर्य उदय से प्रारंभ होता है नववर्ष: यह नववर्ष किसी घड़ी के कांटे, किसी के जन्मदिन, किसी महापुरुष के जीवन की महत्वपूर्ण घटना आदि से प्रारंभ नहीं होता बल्कि यह सूर्य के उदय से प्रारंभ होता है। इस नववर्ष में इसलिए रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। 
 
3. नववर्ष में सात्विकता का समावेश: यह नववर्ष शराब पीकर, तामसिक भोजन खाकर या नाच-गाकर नहीं मनाया जाता है। यह नववर्ष पूर्णत: सात्विक तरीके से मानते हैं। नववर्ष के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से घर में सुगंधित वातावरण कर दिया जाता है। घर को ध्वज, पताका और तोरण से सजाया जाता है। ब्राह्मण, कन्या, गाय, कौआ और कुत्ते को भोजन कराया जाता है। फिर सभी एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं। एक दूसरे को तिलक लगाते हैं। मिठाइयाँ बाँटते हैं। नए संकल्प लिए जाते हैं।ALSO READ: हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर्व किस तरह मनाते हैं?
 
4. वैज्ञानिक कारण: चैत्र माह अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च और अप्रैल के मध्य होता है। 21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसी दिन से धरती का प्राकृतिक नववर्ष प्रारंभ होता है। नववर्ष से ही रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है। रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। दिन और रात को मिलाकर ही एक दिवस पूर्ण होता है। दिवस का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और अगले सूर्योदय तक यह चलता है। सूर्यास्त को दिन और रात का संधिकाल माना जाता है।
 
5. क्यों कहते हैं संवत्सर: वर्ष को 'संवत्सर' कहा गया है। 5 वर्ष का 1 युग होता है। संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर और युगवत्सर ये युगात्मक 5 वर्ष कहे जाते हैं। बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि 60 वर्षों में 12 युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में 5-5 वत्सर होते हैं। प्रत्येक वर्ष का अलग नाम होता है। कुल 60 वर्ष होते हैं तो एक चक्र पूरा हो जाता है। वर्तमान में प्रमादी नामक संवत्सर प्रारंभ हुआ है। इनके नाम इस प्रकार हैं:- प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति, अंगिरा, श्रीमुख, भाव, युवा, धाता, ईश्वर, बहुधान्य, प्रमाथी, विक्रम, वृष प्रजा, चित्रभानु, सुभानु, तारण, पार्थिव, अव्यय, सर्वजीत, सर्वधारी, विरोधी, विकृति, खर, नंदन, विजय, जय, मन्मथ, दुर्मुख, हेमलम्बी, विलम्बी, विकारी, शार्वरी, प्लव, शुभकृत, शोभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव, प्लवंग, कीलक, सौम्य, साधारण, विरोधकृत, परिधावी, प्रमादी, आनंद, राक्षस, नल, पिंगल, काल, सिद्धार्थ, रौद्रि, दुर्मति, दुन्दुभी, रूधिरोद्गारी, रक्ताक्षी, क्रोधन और अक्षय।ALSO READ: हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर बन रहे हैं कई शुभ योग, जानिए कौन होगा वर्ष का राजा
 
उक्त सभी कैलेंडर पंचांग पर आधारित है। पंचांग के पांच अंग हैं- 1. तिथि, 2. नक्षत्र, 3. योग, 4. करण, 5. वार (सप्ताह के सात दिनों के नाम)। भारत में प्रचलित श्रीकृष्ण संवत, विक्रम संवत और शक संवत सभी उक्त काल गणना और पंचांग पर ही आधारित है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सितंबर माह के पहले सप्ताह में किसके चमकेंगे सितारे, जानें साप्ताहिक राशिफल 01 से 07 September तक

Anant chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी के दिन बाजू पर धागा क्यों बांधते हैं?

Chandra grahan sutak kaal 2025: 7 सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण सूतक काल

घर से निकलने से पहले हनुमान चालीसा की इस 1 चौपाई का करें पाठ, बजरंगबली की कृपा से संकट रहेंगे दूर

गणपति की पूजा में कौन-कौन सी वस्तुएं ज़रूरी होती हैं और क्यों?

सभी देखें

धर्म संसार

03 September Birthday: आपको 3 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Dol Gyaras 2025: डोल ग्यारस की पौराणिक कथा: जानें भगवान कृष्ण से जुड़ी रोचक कहानी और इसका महत्व

aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 3 सितंबर, 2025: बुधवार का पंचांग और शुभ समय

Dol Gyaras 2025: डोल ग्यारस के 5 खास उपाय जो बदल देंगे आपका भाग्य, मिलेगा भगवान कृष्ण का आशीर्वाद

Durga Ashtami 2025: शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कन्या पूजन का महत्व

अगला लेख