Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गुड़ी पड़वा क्यों मनाई जाती है?

हमें फॉलो करें गुड़ी पड़वा क्यों मनाई जाती है?
, गुरुवार, 31 मार्च 2022 (16:37 IST)
Why is Gudi Padwa celebrated: गुड़ी पड़वा 2022 : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 2 अप्रैल 2022 शनिवार को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा। संपूर्ण भारत में यह पर्व मनाया जाता है भले ही इस पर्व का नाम भारत के सभी प्रांतों में अलग-अलग हो। सवाल यह उठता है कि गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है। आओ जानते हैं।
 
 
- गुड़ी पड़वा यानी ध्वज प्रतिपदा का पर्व नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है, जिसे हिन्दू नव संवत्सर कहते हैं। गुड़ी पड़वा मनाए जाने के कई कारण है। पहला यह कि भगवान ब्रह्मा ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की संरचना शुरू की थी। उन्होंने इस प्रतिपदा तिथि को सर्वोत्तम तिथि कहा था इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं। ब्रह्म पुराण अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा ने सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। 
 
- भारतीय मान्यता के अनुसार इसी दिन से वसंत का प्रारंभ होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसंत ऋतु में आती है। इस ऋतु में संपूर्ण सृष्टि में सुंदर छटा बिखर जाती है। पतझड़ के बाद नए पत्ते आने प्रारंभ होते हैं। प्रकृति का एक चक्र पूरा होकर दूसरा चक्र प्रारंभ होता है। इसीलिए गुड़ी पड़वा मनाई जाती है।
webdunia
- चैत्र माह में प्रकृति और धरती का एक चक्र पूरा होता है। धरती के अपनी धूरी पर घुमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगाने लेने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है असल में वही नववर्ष होता है। नववर्ष में नए सिरे से प्रकृति में जीवन की शुरुआत होती है। वसंत की बहार आती है। इसीलिए गुड़ी पड़वा मनाते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि 21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, ‍उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसी दिन से धरती प्राकृतिक नववर्ष प्रारंभ होता है। इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है।
 
- ‘प्रतिपदा' के दिन ही पंचांग तैयार होता है। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग' की रचना की। इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। 
 
- इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से नवरात्र की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन को भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था और पूरे अयोध्या नगर में विजय पताका फहराई गई थी। 
 
- ज्योतिषियों के अनुसार इसी दिन से चैत्री पंचांग का आरम्भ माना जाता है, क्योंकि चैत्र मास की पूर्णिमा का अंत चित्रा नक्षत्र में होने से इस चैत्र मास को नववर्ष का प्रथम दिन माना जाता है। इसीलिए गुड़ी पड़वा मनाया जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चैत्र नवरात्रि 2022 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है? यहां जानिए