Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दू नववर्ष का कैलेंडर, याद कर लें ये 12 माह और 30 तिथियां

हमें फॉलो करें हिन्दू नववर्ष का कैलेंडर, याद कर लें ये 12 माह और 30 तिथियां
, शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022 (11:59 IST)
Hindu Nav Varsh 2022
हिन्दू नववर्ष सौर मास, चंद्र मास, नक्षत्र मास और सावन मास पर आधारित है। इसी नववर्ष में 12 माह का एक वर्ष, 30 दिन का एक माह और 7 दिन के एक सप्ताह का प्रचलन हुआ। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए। हिन्दू नव वर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। इस बार हिन्दू नवर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2 अप्रैल 2022 शनिवार से प्रारंभ हो रहा है।
 
 
हिन्दू नववर्ष के माह के नाम ( Names of Months of Hindu New Year) :
 
1. चैत्र 
2. वैशाख
3. ज्येष्ठ 
4. आषाढ़
5. श्रावण
6. भाद्रपद 
7. अश्विन 
8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष 
10. पौष
11. माघ 
12. फाल्गुन 
 
चैत्र मास ही हिन्दू नववर्ष का प्रथम मास है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल के मध्य में शुरु होता है। फाल्गुन मास हिन्दू कैलेंडर का अंतिम माह है जोकि फरवरी और मार्च के मध्य में शुरु होता है, फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की सम्पति हो जाती है।
 
webdunia
Hindu nav varsh 2022
सभी हिन्दू मास या महीने के नाम 28 नक्षत्रों में से 12 नक्षत्रों के नामों पर आधारित हैं। जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नामकरण हुआ।
 
1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास।
2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास।
3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास।
4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़।
5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास।
6. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद।
7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास।
8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास।
9,. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास।
10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास।
11. माघा मास से माघ मास।
12. पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास।
 
हिन्दू माह 30 दिनों का होता है। इन 30 दिनों को चंद्र कला के आधार पर 2 पक्षों में बांटा गया है- कृष्‍ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। प्रत्येक दिन को तिथि कहते हैं। 30 तिथियों में से प्रथम है प्रतिपदा और अंतिम है पूर्णिमा। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा माह की 15वीं और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि है।
 
30 तिथियों के नाम निम्न हैं:- पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस)। पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 और फिर अमावस्या से पूर्णिमा तक 30 तिथि होती है। तिथियों के नाम 16 ही होते हैं। 
 
हिन्दू माह सौर, नक्षत्र और सावन माह का भी समावेश है। जैसे सौर माह के नाम है- मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। इसी तरह नक्षत्र मास के नाम भी 28 नक्षत्रों पर आधारित है। सावन माह ऋतुओं पर आधारित हैं। सभी का मूल आधार पंचांग को माना गया है। पंचांग से ही यह ज्ञान होता है कि कब चंद्रमा किस नक्षत्र में भ्रमण करेगा और कब सूर्य राशि बदलेगा। कब कौनसी तिथि प्रारंभ होगी और कब सूर्य एवं चंद्र ग्रहण होगा।
 
उक्त सभी कैलेंडर या गणनाएं पंचांग पर आधारित है। पंचांग के पांच अंग हैं- 1. तिथि, 2. नक्षत्र, 3. योग, 4. करण, 5. वार (सप्ताह के सात दिनों के नाम)। भारत में प्राचलित श्रीकृष्ण संवत, विक्रम संवत और शक संवत सभी उक्त काल गणना और पंचांग पर ही आधारित है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

उज्जैन में मनेगा गौरव दिवस, हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर निकलेगी भव्य गौरव यात्रा