आज 2 अप्रैल शनिवार को हिन्दू नववर्ष 2079 शुरु हो रहा है। इसे गुड़ी पड़वा भी कहते हैं। गुड़ी अर्थात विजयी पताका और पड़वा अर्थात प्रतिपदा। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नववर्ष की शुरआत होती है। आओ 10 शुभ सामग्री चढ़ाकर 5 सरल सूर्य मंत्र से करें नए वर्ष की शुरुआत।
10 शुभ सामग्री :
1. खीर
2. श्रीखंड
3. फल और फूल
4. नीम, पान और आम के पत्ते
5. गुड़ और धनिये का प्रसाद।
6. काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, इलायची, पीपल, सुपारी आदि चीजों को भी आप भगवान को अर्पित कर सकते हैं।
7. नारियल
9. वस्त्र और चुनरी
10. शक्कर की माला।
गुड़ी बनाने की सामग्री :
1. एक डंडा।
2. लोटा या गिलास।
3. रेशमी साड़ी या चुनरी, पीले रंग का कपड़ा।
4. फूल और फूलों की माला, शक्कर की माला।
5. कड़वे नीम के पांच पत्ते।
6. आम के पांच पत्ते।
7. रंगोली और मांडना।
8. धनिये और गुड़ का प्रसाद।
9. श्रीखंड और पूरणपोली।
10. पूजा सामग्री : पूजन के लिए हल्दी, कुमकुम, अक्षत, चंदन और धूप-दीप तथा एक चांदी का सिक्का वहीं आप एक मौली ले लें और पूजा के लिए आप एक पानी वाला नारियल ले लें।
गुड़ी पड़वा पूजन का मंत्र- Gudi Padwa Mantra
- ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणः प्रसादाय व्रतं करिष्ये।
5 सरल सूर्य मंत्र- Sun Mantras
- ॐ सूर्याय नम:।
- ॐ आदित्याय नम:।
- ॐ भास्कराय नम:।
- ॐ मित्राय नम:।
- ॐ रवये नम:।
सूर्य के अर्घ्य की आसान विधि (Surya ko arghya dene ka tarika) :
1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें।
2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष आसन लगाए।
3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।
4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। कहा जाता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।
5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्दि होती है।
6. जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं
कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।
7. प्रात:काल का सूर्य कोमल होता है उसे सीधे देखने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
8. सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर।
9. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे।
10. अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें-
'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार)
11. ' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय।
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार)
12. तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें।
13. अपने स्थान पर ही तीन बार घुम कर परिक्रमा करें।
14. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।