Vikram Samvat 2080 : कौन हैं इस वर्ष के राजा, क्या है इस संवत्सर का नाम, सब जानिए यहां

Webdunia
बुधवार, 22 मार्च 2023 (11:46 IST)
Hindu nav varsh 2023: हिन्दू नववर्ष का पहला माह चैत्र माह है। फाल्गुन मास समाप्त होने के बाद चैत्र माह इस नववर्ष का पहला माह रहता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 मार्च बुधवार 2023 को हिन्दू नववर्ष प्रारंभ हो रहा है। इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर भी कहते हैं। इस बार विक्रम संवत का 2080 वर्ष प्रारंभ होगा।
 
इस संवत का राजा बुध और मंत्री शुक्र हैं:-
 
क्या है इस संवत्सर का नाम :
जिस तरह प्रत्येक माह के नाम नियुक्त हैं, जैसे चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन, उसी तरह प्रत्येक आने वाले वर्ष का एक नाम होता है। 12 माह के 1 काल को संवत्सर कहते हैं और हर संवत्सर का एक नाम होता है। इस तरह 60 संवत्सर होते हैं। वर्तमान में विक्रम संवत् 2080 से 'पिंगला' नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। इसके पहले नल संवत्सर चल रहा था।
 
हर प्रांत में है नाम अलग अलग :
महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, कर्नाटक युगादि, आंध्रा और तेलंगाना में उगादी, कश्मीर में नवरेह, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा, सिंध में चेती चंड, गोवा और केरल में संवत्सर पड़वो नाम से इसे जाना जाता है। इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर भी कहते हैं।
कैसे बनाते हैं गुड़ी : 
 
गुड़ी की सामग्री : एक डंडा, रेशमी साड़ी या चुनरी, पीले रंग का कपड़ा, फूल, फूलों की माला, कड़वे नीम के पांच पत्ते, आम के पांच पत्ते, रंगोली, प्रसाद और पूजा सामग्री।
 
विक्रम संवत 2080 क्यों है खास:
1. हिन्दू नववर्ष प्राचीनकालीन पंचांग, ऋषि संवत, सावन माह, चंद्रवर्ष, सौरवर्ष और नक्षत्र वर्ष के आधार पर निर्मित किया गया है जिसमें सूर्य और चंद्र की गतियों के साथ सभी ग्रह और नक्षत्रों की गति का विवरण मिलता है।
ALSO READ: हिन्दू नववर्ष को क्यों कहते हैं नव संवत्सर
2. हिन्दू कैलेंडर में वर्ष को सूर्य की गति के आधार पर 2 भागों में बांटा है- उत्तरायण और दक्षिणायन। मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क आदि सौरवर्ष के माह हैं। यह 365 दिनों का है।
 
3. माह को चंद्र की गति के आधार पर दो भागों में बांटा गया है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि चंद्रवर्ष के माह हैं। चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है, जो चैत्र माह से शुरू होता है।
ALSO READ: महाराष्ट्र में कैसे मनाते हैं गुड़ी पड़वा?
4. सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बढ़े हुए दिनों को मलमास या अधिमास कहते हैं।
 
5. तीसरा नक्षत्रमाह होता है। लगभग 27 दिनों का एक नक्षत्रमास होता है। नक्षत्रमास चित्रा नक्षत्र से प्रारंभ होता है। चित्रा नक्षत्र चैत्र मास में प्रारंभ होता है।
 
6. इस कैलेंडर के माह के नाम नक्षत्रों के आधार पर निर्धारित किए गए हैं। जैसे चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन।
ALSO READ: गुड़ी पड़वा पर बनते हैं ये खास व्यंजन, अभी नोट करें रेसिपी
7. सावन वर्ष 360 दिनों का होता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।
 
8. जिस तरह माह के नाम होते हैं उसी तरह वर्ष के नाम भी हैं। 12 माह के 1 काल को संवत्सर कहते हैं और हर संवत्सर का एक नाम होता है। इस तरह 60 संवत्सर होते हैं। बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि साठ वर्षों में बारह युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में पांच-पांच वत्सर होते हैं।
 
9. वर्तमान में 2080 के नव संवत्सर को 'पिंगल' नाम से जाना जाएगा। इस संवत के राजा बुध और मंत्री शुक्र होंगे। 60 वर्ष का एक युग माना गया है। इसीलिए युगादि कहते हैं। 
 
10. इसी कैलेंडर से 12 माह और 7 दिवस बने हैं। 12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ।
 
11. प्राचीनकाल से ही यह परंपरा है कि चैत्र माह से देश दुनिया में पुराने कामकाज को समेटकर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती रही है, क्योंकि यह माह वसंत के आगम का माह और इस माह से ही प्रकृति फिर से नई होने लगती है। आज भी भारत में चैत्र माह में बहिखाते नए किए जाते हैं। इस माह में धरती का एक चक्र पूर्ण हो जाता है। 
ALSO READ: विक्रम संवत 2080 क्यों है खास, जानिए ग्रह नक्षत्र और सितारों की चाल
12. सूर्योदय से प्रारंभ होता है हिन्दू नववर्ष। रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है।
 
13. उक्त सभी कैलेंडर पंचांग पर आधारित है। पंचांग के पांच अंग हैं- 1. तिथि, 2. नक्षत्र, 3. योग, 4. करण, 5. वार (सप्ताह के सात दिनों के नाम)। भारत में प्राचलित श्रीकृष्ण संवत, विक्रम संवत और शक संवत सभी उक्त काल गणना और पंचांग पर ही आधारित है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Bhai dooj katha: भाई दूज की पौराणिक कथा

Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री सहित सरल विधि

Diwali Laxmi Pujan Timing: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और चौघड़िया

Narak chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी पर हनुमानजी की पूजा क्यों करते हैं, क्या है इसका खास महत्व?

दिवाली के पांच दिनी उत्सव में किस दिन क्या करते हैं, जानिए इंफोग्राफिक्स में

सभी देखें

धर्म संसार

Chhath Puja katha: छठ पूजा की 4 पौराणिक कथाएं

भाई दूज के दिन बहन और भाई रखें इन बातों का खास ध्यान, भूलकर भी न करें ये गलतियां

Bhai dooj 2024: भाई दूज पर कैसा भोजन बनाना चाहिए?

Bhai dooj: भाईदूज के दिन क्यों करते हैं चित्रगुप्त जी की पूजा?

शुक्र के धनु में गोचर से 4 राशियों को मिलेगा धनलाभ

अगला लेख