गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन

Webdunia
- डॉ. हरिवंशराय बच्चन
गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन।
एक दुनिया है हृदय में, मानता हूं,
वह घिरी तम से, इसे भी जानता हूं,
छा रहा है किंतु बाहर भी तिमिर-घन,
 
गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन।
प्राण की लौ से तुझे जिस काल बारुं,
 
और अपने कंठ पर तुझको संवारूं,
कह उठे संसार, आया ज्‍योति का क्षण,
 
गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन।
दूर कर मुझमें भरी तू कालिमा जब,
 
फैल जाए विश्‍व में भी लालिमा तब,
जानता सीमा नहीं है अग्नि का कण,
 
गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन।
जग विभामय न तो काली रात मेरी,
 
मैं विभामय तो नहीं जगती अंधेरी,
यह रहे विश्‍वास मेरा यह रहे प्रण,
 
गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन।
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बारिश के मौसम में जरूर पिएं ये 5 हेल्दी ड्रिंक्स, शरीर को देंगे इम्युनिटी, एनर्जी और अंदरूनी गर्माहट

रोने के बाद क्या सच में आंखें हो जाती हैं स्वस्थ? जानिए इसके पीछे का साइंटिफिक सच

टॉप 7 फूड्स जो मसल्स रिकवरी को तेजी से सपोर्ट करते हैं, जानिए जिमिंग के बाद क्या खाना है सबसे फायदेमंद

दही खाते समय लोग करते हैं ये 8 बड़ी गलतियां, सेहत पर पड़ सकता है बुरा असर

शिव के विषपान प्रसंग पर हिन्दी कविता : नीलकंठ

सभी देखें

नवीनतम

हल्दी से लेकर गुलाबजल तक, ये 5 प्राचीन ब्यूटी सीक्रेट्स आज भी हैं स्किन के लिए वरदान

भारत का प्रमुख त्योहार नागपंचमी, पढ़ें नागदेवता पूजन पर बेहतरीन हिन्दी निबंध

कितनी दौलत की मालकिन हैं 'क्‍योंकि सास भी कभी बहू थी' की तुलसी विरानी...जानें स्‍मृति ईरानी के पास कितनी ज्‍वेलरी और प्रॉपर्टीज है

श्रावण मास: धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में एक सूक्ष्म विश्लेषण

कौन हैं भारत के सबसे अमीर मुस्लिम? भारत के सबसे बड़े दानवीर का खिताब भी है इनके नाम