पैरों के दर्द को अनदेखा नहीं करें

पैरों में दर्द वेस्कुलर हो सकता है

Webdunia
- डॉ. सुधीर खेताव त
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हम में से बहुतों को चलने और आराम करने के दौरान पैरों में दर्द होता है। ज्यादातर लोग दर्द निवारक लेकर उसको अनदेखा कर देते हैं, लेकिन पैरों में बार-बार दर्द को अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह वेस्कुलर हो सकता है।

वेस्कुलर बीमारी पैरों की धमनियों में रुकावट के कारण हो सकती है। धमनियों में वसा जमने के कारण वे सँकरी हो जाती हैं, जिससे रक्त की आपूर्ति में बाधा आती है और दर्द तथा दूसरी समस्याएँ शुरू हो जाती हैं। मधुमेह और अधिक धूम्रपान करने वालों को विशेष सतर्कता की जरूरत है।

वेस्कुलर समस्या के कई लक्षण हैं जिनमें प्रमुख हैं :-
* चलने में हो रहा दर्द आराम से कम हो जाए।
* दर्द के कारण रात को सोने में तकलीफ।
* पैरों, नितंबों में चलने के दौरान दर्द जबकि आराम करने से राहत।
* पैर लटकाकर या ऊपर रखने से दर्द और स्थान बदलने से राहत।
* पैरों और तलवों के रंगों में परिवर्तन ।
* पैर के नाखून का मोटा होना
* पैर की उँगलियों, पैरों और जाँघों में बालों का न होना।
* पैर नीचे रखने में गहरे रंग का हो जाना और ऊपर करने में पीला पड़ना।
* पैरों के नाखूनों का नीला पड़ना।
* पैर की उँगलियों के बीच और पैर के बाहरी हिस्से में घाव हो जाना।

यदि दर्द के कारण आप रात को सो नहीं पाते तो आपको पैर खोने का खतरा हो सकता है और तत्काल वेस्कुलर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। सभी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती। यदि दर्द आपकी दिनचर्या को प्रभावित नहीं कर रहा है, तो सिर्फ व्यायाम और धूम्रपान छोड़ने से ही समस्या से निजात मिल सकती है।

उपरोक्त लक्षणों से प्रभावित मरीज की धमनियों के कुछ परीक्षण किए जाते हैं। इनमें पैर की धमनियों का रंग डॉप्लर या अल्ट्रासाउंड बता सकता है कि किस स्थान पर रक्त के प्रवाह में रुकावट आ रही है। दूसरा परीक्षण शल्य चिकित्सा से पूर्व एंजियोग्राम के जरिए किया जाता है। यह एक वृहद तकनीक है, जिससे सभी धमनियों की आंतरिक स्थिति का ज्ञान हो जाता है और पैर लंबे समय तक स्वस्थ बनाए जा सकते हैं।

सामान्य ऑपरेशन के लिए रोगी को एक-दो दिन ही अस्पताल में रहने की जरूरत होती है। यह तकनीक एंजियोप्लास्टी कहलाती है, जिसमें धमनियों को गुब्बारे की तरह चौड़ा किया जाता है। यह धमनियों की स्थिति और उसमें रुकावट पर निर्भर करती है। एक पतला तार कमर या हाथों से प्रभावित स्थान पर भेजा जाता है। इसके जरिए एक गुब्बारा भेजा जाता है, जो स्थान को चौड़ा करता है। रुकावट दूर होने के बाद स्टील का पाइप लगा दिया जाता है, जिससे यह स्थान पुनः पतला न हो सके। लंबे समय तक दर्द से निजात का यह उत्तम उपाय है।

दूसरा तरीका बायपास शल्य चिकित्सा है, जिसमें मरीज को 7 से 10 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है। यह हृदय बायपास शल्यक्रिया की तरह ही है, लेकिन इसमें आपकी खुद की नसों या कृत्रिम नसों को धमनी में लगाया जाता है।

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ओरटा जैसी प्रणालियाँ 20 साल से अधिक के लिए भी कारगार हो सकती हैं, जबकि कमर के नीचे की धमनियों के लिए यह 10-15 साल के लिए कारगर सिद्ध हो सकता है। इस दौरान पैरों में रक्त का संचार सामान्य हो जाता है। बुरी तरह प्रभावित पैरों के लिए अंतिम विकल्प शल्य चिकित्सा के बजाए शिराओं में 5 दिन तक दवा देकर धमनियों को खोलने का प्रयास किया जाता है।

यदि सही समय पर चिकित्सक से परामर्श कर लिया जाए तो दो फीसदी से अधिक लोगों के पैर काटने की जरूरत नहीं पड़ती और जीवन सामान्य हो जाता है। एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा वेस्कुलर समस्या का निवारण संभव है।
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