शहद का नियमित और उचित मात्रा में उपयोग करने से शरीर स्वस्थ, सुंदर, बलवान, स्फूर्तिवान बनता है और दीर्घजीवन प्रदान करता है।
शहद को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। शहद का पीएच मान 3 से 4.8 के बीच होने से जीवाणुरोधी गुण स्वतः ही पाया जाता है।
प्रातःकाल शौच से पूर्व शहद-नींबू पानी का सेवन करने से कब्ज दूर होता है, रक्त शुद्ध होता है और मोटापा कम होता है।
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों द्वारा शहद का सेवन करने से पैदा होने वाली संतान स्वस्थ एवं मानसिक दृष्टि से अन्य शिशुओं से श्रेष्ठ होती है।
त्वचा पर निखार लाने के लिए गुलाब जल, नींबू और शहद मिलाकर लगाना चाहिए।
गाजर के रस में शहद मिलाकर लेने से नेत्र-ज्योति में सुधार होता है।
उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद लेने से रक्तचाप सामान्य होता है।
त्वचा के जल जाने, कट जाने या छिल जाने पर भी शहद लगाने से लाभ मिलता है।
नोट : गर्म करके अथवा गुड़, घी, शकर, मिश्री, तेल, मांस-मछली आदि के साथ सेवन नहीं करना चाहिए।